उद्धव ने पूछा- मनसे के साथ गठबंधन करें या नहीं?
मुंबई के मातोश्री निवास पर बुधवार को शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगरसेवकों (पार्षदों) की अहम बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में उद्धव ठाकरे ने खुलकर मनसे के साथ संभावित गठबंधन पर चर्चा की और पूर्व नगरसेवकों से राय मांगी। जब उन्होंने पूछा कि क्या मनसे के साथ गठबंधन करना चाहिए? तो अधिकांश नगरसेवक गठबंधन के पक्ष में रहें और ऐसा करने पर आगामी चुनावों में फायदा होने का तर्क दिया। नगरसेवकों ने यह भी कहा कि मुंबई में कुछ महीनों में होने वाले बीएमसी चुनाव को देखें तो गठबंधन के लिए माहौल अनुकूल है। उद्धव ठाकरे ने भरोसा दिलाया कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) को लेकर जो भी फैसला लिया जाएगा, उसमें पूर्व नगरसेवकों को विश्वास में लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आप लोग निष्ठावान हैं और हमेशा साथ खड़े रहे हैं। आगामी समय में और भी कई बैठकें होंगी। शिवसेना भवन में अब चुनाव कार्यालय खोला जाएगा और आप सब को आम जनता की समस्याओं को वहीं से हल करना होगा।
इस बैठक में उद्धव ठाकरे ने मुंबई बीएमसी चुनाव अक्टूबर से नवंबर के बीच होने की संभावना भी जताई। ऐसे में अब राजनीतिक रणनीति को धार देने का वक्त आ गया है। पूर्व नगरसेवक सुरेश पाटिल ने बताया, आज मातोश्री में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ बैठक हुई। उद्धव साहेब ने कहा कि चुनाव अक्टूबर या नवंबर में हो सकते हैं। इसलिए, इस बार हमने नगर निगम पर भगवा फहराने का संकल्प लिया है। मनसे से गठबंधन के संदर्भ में हमसे राय मांगी गई, जिस पर हमने अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी। फिलहाल माहौल अनुकूल है, क्योंकि दोनों दलों के कार्यकर्ता इसके पक्ष में है, वें मिलकर आंदोलन कर रहे हैं और सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 2017 के बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे की तब की अविभाजित शिवसेना को 84 सीटें और राज ठाकरे की मनसे को 7 सीटें मिली थीं। लेकिन 2022 में शिवसेना के इतिहास का सबसे बड़ा विद्रोह हुआ और पार्टी के अधिकांश विधायक और नगरसेवक एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। जबकि पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव नीत पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा, जबकि मनसे का तो खाता भी नहीं खुल सका। यानी वर्तमान समय में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की मनसे दोनों ही दलों की ताकत कमजोर हो चुकी है।
अब सवाल यही है कि क्या ठाकरे ब्रांड को मजबूत कर नई धार देने के लिए दोनों भाई एक होंगे? अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ आ सकता है। फिलहाल, सबकी नजरें ठाकरे भाईयों के अगले कदम पर टिकी हैं।