कीमत अर्श से फर्श तक पहुंची
पिछले तीन-चार वर्षो में खादी, यूरोपीय देशों में जीरा की जबरदस्त मांग पर इसकी कीमत ने आसमान की ऊंचाइयों तक छुआ था। करीब 4 वर्ष पहले रिकॉर्ड 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल कीमत से जीरा बिका। इससे किसान मालामाल हो गए। इसके बाद कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हुआ, जो थमने का नाम नहीं ले रहा है। गत वर्ष जीरा 28 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिका। इस वर्ष फसल निकलने पर यह 23 हजार रुपए कीमत में बिका। 5 महीने बाद अब कीमत कम होकर 17 से 18 हजार रुपए हो गई है। अर्श से फर्श तक पहुंची कीमतों पर किसानों, स्टाकिस्ट व्यापारियों की रातों की नींद उड़ गई है।मांग बेहद कमजोर, खरीदार नहीं मिल रहे हैं
जानकारी अनुसार खाड़ी, यूरोपीय देशों में जीरा की अधिक मांग रहती है। मसाला प्रयोग के साथ इसका तेल निकाल कर विभिन्न औषधीय बनाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से सूडान, सीरिया आदि देश इन देशों को जीरा की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे मांग बहुत कम हो गई है। हालत यह है निरंतर कम होती कीमतों पर अब व्यापारी माल खरीदने को तैयार नहीं है। इससे किसान, व्यापारी बड़े संकट में पड़ गए हैं।कर्जदार हो रहे किसान, नहीं मिल रहे सही भाव
अच्छे भावों के इंतजार में स्टॉक कर बैठे किसानों की हालत बहुत खराब है। अच्छी कीमत मिलने को लेकर इन्होंने 1000 प्रति किलो से अधिक महंगे कीमत में बीज खरीद बुवाई की। महंगी दवाईयों का छिड़काव किया। खेती पर लाखों खर्च किए। अब फसल के नहीं बिकने पर किसान कर्ज लेकर पारिवारिक, सामाजिक व जिमेदारियां निभा रहे तो खेती कार्य कर रहे हैं। इससे इनके सामने आगे कुआं पीछे खाई सी स्थिति हो गई है।हनुमानसिंह राजपुरोहित, किसान
- केवलराम पटेल, किसान
- प्रदीप पगारिया, कृषि अधिकारी