कल्याणपुर के पूर्व सरपंच भंवरदान चारण ने बताया कि चारण समाज की आराध्य देवी करणी माता की जन्मस्थली गांव सुवाप तथा ससुराल साठिका गांव में है। ऐसे में मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन करणी माता के पुत्र लाखन की मृत्यु कोलायत के कपिल सरोवर में डूबने से हो गई थी। इसी कारण चारण समाज शोक वश इस दिन रक्षाबंधन नहीं मनाता है।
एक दिन पहले या बाद में मनाते हैं पर्व
घडोई चारणान निवासी देवीदान चारण ने बताया कि समाज के लोग एक दिन पहले या बाद में रक्षाबंधन मनाते हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों में बसे चारण समाज के लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं।
पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा
भंवरदान, मोहब्बत दान, कैलाशदान, सेणीदान, विजय सिंह, विनोद सिंह सहित ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसे आज भी पूरे श्रद्धा और संकल्प के साथ निभाया जाता है।