गुरुद्वारा और श्मशान तक नहीं मिलेगी एंट्री
राघवपुरी गुरुद्वारे में आयोजित समागम में स्पष्ट किया गया कि जो सिख परिवार ईसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें न तो गुरुद्वारा में प्रवेश मिलेगा, न ही उनके परिजनों के अंतिम संस्कार सिख रीति से किए जाएंगे।इसके साथ ही चेतावनी दी गई कि जो मतांतरित व्यक्ति अब भी “सिंह” या “कौर” उपनाम का प्रयोग करते हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
धर्म परिवर्तन की पृष्ठभूमि और एफआईआर
ध्यान रहे, पीलीभीत जिले के राघवपुरी, टाटरगंज, कंबोजनगर, और टिल्ला नंबर चार जैसे गांवों में पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों सिख परिवारों का कथित तौर पर ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में आकर धर्मांतरण कराया गया था।सिख संगठनों की प्रतिक्रिया और अभियान की घोषणा
भारतीय सिख संगठन (BSS) के संस्थापक अध्यक्ष जसवीर सिंह विर्क ने कहा: “हमने 305 लोगों को समझाया कि कैसे वे गलत प्रचार और प्रलोभनों का शिकार हुए। उनके वापस लौटने से समाज को एक मजबूत संदेश मिला है।”समागम में देशभर से जुटे सिख प्रतिनिधि
समागम में नांदेड़ (महाराष्ट्र), आगरा, नानकमत्ता (उत्तराखंड), और शिरोमणि गुरुद्वारा जत्थेबंदियों के पदाधिकारी शामिल हुए।गांव वालों से अपील: “मिशनरियों के जाल से सावधान रहें”
सिख नेताओं ने चेताया कि विदेशी फंडिंग पर चलने वाली ईसाई मिशनरियाँ, ग्रामीण भोले-भाले लोगों को बीमारी ठीक करने, पैसा देने और अन्य झूठे वादों के ज़रिए धर्म परिवर्तन करवा रही हैं।अब वक्त है कि समाज संगठित हो और ऐसी गतिविधियों का विरोध करे।