महक का जीवन तब कठिन मोड़ पर आ गया, जब पिता की मृत्यु के बाद उसकी मां ने दूसरी शादी की। उसका सौतेला पिता उस पर बुरी नजर रखने लगा। असहज माहौल से बचने के लिए महक अपने ननिहाल उत्तराखंड चली गई, लेकिन वहां भी उसे सुरक्षा नहीं मिली—उसका मामा भी उस पर गलत निगाहें डालने लगा। इन घटनाओं से आहत होकर महक ने अपने परिवार से सारे रिश्ते तोड़ने और धर्म परिवर्तन का निर्णय लिया।
सौतेले पिता और मामा की हरकतों से टूटा भरोसा
महक पहले से ही बरेली निवासी ऋषि राय को जानती थी। जब वह पूरी तरह टूट चुकी थी, तब उसने ऋषि के पास आकर अपने जीवन की नई दिशा तय की। दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया। वे पंडित केके शंखधार के पास पहुंचे, जिन्होंने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार महक का शुद्धिकरण कराया। गायत्री मंत्रों के उच्चारण और गंगाजल से अभिषेक के साथ उसका ‘घर वापसी’ संस्कार पूरा किया गया। इसके बाद ऋषि और महक ने हिंदू परंपरा के अनुसार सात फेरे लेकर विवाह किया।
तीन साल पहले बाकरगंज में हुई थी मुलाकात
महक और ऋषि की पहली मुलाकात तीन साल पहले बरेली के बाकरगंज क्षेत्र में हुई थी। उस समय महक अपने माता-पिता के साथ वहीं रहती थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच बातचीत बढ़ी और रिश्ता प्यार में बदल गया। महक ने ऋषि को अपने जीवन की कठिनाइयों के बारे में बताया, जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे के साथ नया जीवन शुरू करने का फैसला लिया।
महक बोली- एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं हम
महक ने कहा कि उसे अब पहली बार जीवन में सुरक्षित महसूस होता है। उसका कहना है कि ऋषि और मैं एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। अब मुझे किसी चीज का डर नहीं लगता। अगर कोई हमें अलग करने की कोशिश करेगा, तो हम दोनों एक-दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं। महक ने बताया कि उसने यह कदम किसी दबाव में नहीं, बल्कि अपने आत्म-सम्मान और सुरक्षा की भावना को देखते हुए उठाया है। उसने कहा कि कुछ प्रथाएं जैसे बहुविवाह, तीन तलाक और हलाला उसे हमेशा डरा देती थीं। मैंने यह निर्णय खुद लिया है, क्योंकि मुझे हिंदू धर्म में सम्मान, अपनापन और सुरक्षा मिली।