सत्य सांई बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स पर ₹5 लाख जुर्माना
बी.डी.ए. के नए कार्यालय भवन का निर्माण कार्य मैसर्स सत्य सांई बिल्डर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स को 30 जून 2025 तक पूर्ण करना था, लेकिन कार्य में न तो गति आई और न ही समय सीमा का पालन हुआ। इस पर प्राधिकरण ने ₹5 लाख का जुर्माना लगाया और फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। साथ ही आगामी टेंडरों में फर्म की प्रतिभागिता पर रोक लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
राजीव ट्रेडर्स पर ₹10 लाख का जुर्माना
मैसर्स राजीव ट्रेडर्स को भी 30 जून तक निर्माण कार्य पूरा करना था, लेकिन निर्धारित समयसीमा में कोई ठोस प्रगति नहीं दिखाई गई। बीडीए ने ₹10 लाख का जुर्माना लगाते हुए फर्म को भी कारण बताओ नोटिस भेजा है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि आगे किसी भी सरकारी निविदा में प्रतिभाग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
जलाकाश फर्म पर ₹5 लाख की पेनल्टी
मैसर्स जलाकाश को भी जून के अंत तक कार्य पूरा करना था, लेकिन फर्म ने कार्य में अनुशासनहीनता और ढिलाई बरती। इस पर बीडीए ने ₹5 लाख जुर्माना लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सबसे गंभीर मामला: सुनील गर्ग एंड कंपनी पर ₹46 लाख प्रतिमाह का जुर्माना
समीक्षा बैठक में सबसे गंभीर लापरवाही मैसर्स सुनील गर्ग एंड कंपनी की पाई गई। फर्म की देरी से बीडीए की करीब ₹80 करोड़ की संभावित आमदनी अटक गई है। इस कारण उपाध्यक्ष डॉ. ए. मणिकंडन ने आदेश दिया है कि प्राधिकरण को मिलने वाले ब्याज के नुकसान की भरपाई के लिए फर्म पर ₹46 लाख प्रति माह का पेनल्टी लगाया जाए। यह जुर्माना प्रत्येक माह तब तक लागू रहेगा, जब तक कार्य पूर्ण नहीं होता।
इंजीनियरिंग स्टाफ पर भी कार्रवाई
लापरवाही के लिए न केवल फर्मों पर कार्रवाई की गई, बल्कि संबंधित सहायक अभियंता (AE) और जूनियर इंजीनियर (JE) को प्रतिकूल प्रविष्टि (adverse entry) दी गई है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कार्यों की गति और गुणवत्ता पर सख्त निगरानी रखी जाए।