अदालती आदेश की जानकारी मिलते ही हुमा बी के समर्थकों में हर्ष की लहर दौड़ गई। कई स्थानों पर मिठाइयां बांटी गईं और आतिशबाजी कर खुशी जताई गई। समर्थकों का कहना है कि यह न्याय की जीत है और विरोधियों की साजिशों की हार।
प्रशासन ने किया था अधिकार सीज
हुमा बी पर नगर विकास कार्यों में अनियमितताएं, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, और करीब एक करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए थे। इसी आधार पर 16 जुलाई को नगर विकास विभाग ने उनके प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सीज कर दिए थे। 17 जुलाई को जिलाधिकारी अवनीश कुमार राय ने शासन के आदेश का पालन करते हुए एसडीएम दातागंज धर्मेन्द्र कुमार सिंह को प्रशासक नियुक्त कर नगर पंचायत का कार्यभार सौंप दिया था।
हाईकोर्ट ने माना पावर सीज करना गलत
हुमा बी ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश बताते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने सुनवाई के दौरान शासन से जवाब तलब किया और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चेयरमैन के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि अधिकार सीज करने की प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं थी, इसलिए चेयरमैन हुमा बी को पुनः कार्यभार संभालने की अनुमति दी गई है।
“यह आदेश विरोधियों के लिए सबक”: हुमा बी
हाईकोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए चेयरमैन हुमा बी ने कहा,
“यह आदेश उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो क्षेत्र के विकास में रोड़ा अटकाने का काम कर रहे थे। अब मैं और मजबूती से नगर के विकास को गति दूंगी। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और वही हुआ।” हुमा बी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकारें विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक तत्व योजनाओं को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। चेयरमैन ने दोहराया कि वह जनता की सेवा और विकास योजनाओं को तेजी से लागू करने के संकल्प के साथ फिर नगर पंचायत का कार्यभार संभालेंगी।