कड़े मुकाबले में सुनहरी जीत पाकर गर्व से खिल उठे थे चेहरे
प्रतियोगिता के फाइनल में कानपुर ज़ोन पुलिस और बनारस ज़ोन पुलिस के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ। दर्शकों की तालियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन आखिरकार बनारस पुलिस की टीम ने विजय पताका लहराई और पूरे प्रदेश में जीत का परचम फहराया। बरेली से जब गोल्ड मेडल लेकर टीम बनारस पहुंची, तो वहां तत्कालीन आईजी विक्रम सिंह और एसएसपी अनिल अग्रवाल ने कहा था – “हमें उम्मीद नहीं थी कि तुम जीत पाओगे, लेकिन तुमने उत्तर प्रदेश पुलिस का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।”फिर वही बरेली और फुटबाल, बदले चेहरे और मैदान
आज 23 साल बाद जब एडीजी रमित शर्मा बरेली में आयोजित 73वीं यूपी पुलिस फुटबॉल प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि बनकर मैदान में पहुंचे। मैदान और फुटबाल ने उनकी पुरानी यादों का ताजा कर दिया। खिलाड़ियों को फुटबॉल खेलते देखकर उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान लौट आई। उन्होंने मंच से खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा, “खेल सिर्फ जीत और हार का नाम नहीं है, यह चरित्र, अनुशासन और टीम भावना का प्रतीक है। खिलाड़ी जब मैदान पर अपना पसीना बहाते हैं, वही असली योद्धा होते हैं।”यूपी फुटबाल के ब्रांड अंबेसडर मनोज जग्गी ने बांटे अनुभव, खिलाड़ियों में भरा जोश
उत्तर प्रदेश पुलिस फुटबॉल टीम के पूर्व कोच और वर्तमान में यूपी फुटबॉल के ब्रांड एंबेसडर मनोज जग्गी ने भी मंच से अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “खेल को सिर्फ करियर नहीं, इबादत समझिए। मैदान पर इमानदारी से खेलो, जीत खुद आपके पीछे दौड़ेगी।”1995 में मलेशिया के कुआलालंपुर में फिर देश की शान बने।
1998 में मुम्बई में आयोजित रोवर्स कप में भाग लिया और ईस्ट बंगाल को हराकर ड्यूरंड कप जीतने वाली महिंद्रा यूनाइटेड टीम के हिस्सा बने।
1998 में सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का पुरस्कार प्राप्त किया।