इस तरह रचा फर्जीवाड़ा
केंद्रपाल, मूल रूप से बहेड़ी के दौलतपुर गांव का निवासी है और लंबे समय तक सदर तहसील के करगेना में रहा। उसने 7 जून 2019 को सदर तहसील से धनगर जाति का प्रमाण पत्र बनवाया। इसी आधार पर वर्ष 2020 में उसे इंटर कॉलेज में नियुक्ति मिल गई। जांच में सामने आया कि उसके किसी भी शैक्षिक दस्तावेज़ में धनगर जाति का उल्लेख नहीं है, केवल जाति प्रमाण पत्र में ही यह लिखा है।
पत्नी की शिकायत से खुली पोल
जून 2024 में केंद्रपाल की पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद डीआईओएस बुलंदशहर ने बरेली प्रशासन से प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया। तहसीलदार सदर भानु प्रताप सिंह की जांच में यह साबित हुआ कि केंद्रपाल वास्तव में ओबीसी वर्ग की गड़रिया जाति से है, लेकिन मिलीभगत कर उसने एससी श्रेणी में आने वाला धनगर जाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया।
कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू
तहसीलदार और डीआईओएस बुलंदशहर विनय कुमार ने जिलाधिकारी बरेली को पत्र भेजकर प्रमाण पत्र निरस्त करने का अनुरोध किया है। साथ ही, निलंबन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला स्तरीय स्क्रूटनी समिति अब अंतिम निर्णय लेगी।
भाई का प्रमाण पत्र भी जांच के दायरे में
जांच में केंद्रपाल के सगे भाई का प्रमाण पत्र भी देखा गया, जो कि शिक्षामित्र है, और उसमें गड़रिया (ओबीसी) जाति दर्ज है। इससे फर्जीवाड़े की पुष्टि और मजबूत हो गई। प्रशासन ने जल्द ही कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।