मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक अंडासु ने किशनगंज थाने के SHO विनोद मीणा सहित 23 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है।
हिरासत में मौत के बाद परिजनों का गुस्सा
दरअसल, लोकेश सुमन को 26 जुलाई को हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसे न्यायालय में पेश करने के बाद 5 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया था। रिमांड अवधि के दौरान ही 28 जुलाई को उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के भाई राजेंद्र माली ने आरोप लगाया कि लोकेश पूरी तरह स्वस्थ था और उसे कोई बीमारी नहीं थी। राजेंद्र ने बताया कि 26 जुलाई को वे लोकेश से मिलने गए थे, लेकिन पुलिस ने मिलने नहीं दिया। उन्होंने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी के चलते लोकेश की मौत हुई। परिजनों ने भंवरगढ़ और किशनगंज थाने के पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
SHO सहित पूरा थाना लाइन हाजिर
मामले की गंभीरता को देखते हुए SP अभिषेक अंडासु ने त्वरित कार्रवाई करते हुए किशनगंज थाने के पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया। इसमें SHO विनोद मीणा सहित 23 पुलिसकर्मी शामिल हैं। बता दें, जूडिशियल मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सोमवार को शव का पोस्टमार्टम हो चुका है, लेकिन परिजनों ने इसे उठाने से इनकार कर दिया। पहले परिजनों ने देर रात होने का हवाला देकर शव मंगलवार को उठाने की बात कही थी, लेकिन मंगलवार सुबह उन्होंने मुआवजा और नौकरी की मांग रख दी, जिससे गतिरोध बना हुआ है। जिला कलेक्टर रोहिताश्व तोमर और SP अभिषेक अंडासु मौके पर पहुंचे और परिजनों से बातचीत की, लेकिन मामला सुलझा नहीं है।
युवक की हत्या के आरोप में हुई थी गिरफ्तारी
पुलिस के अनुसार, 23 जुलाई को किशनगंज के रामगढ़ रोड पर बबलू मीणा का शव लहूलुहान हालत में मिला था। जांच में सामने आया कि बारां निवासी लोकेश सुमन ने बबलू से पैसे उधार लिए थे और उन्हें चुकाने में आनाकानी कर रहा था। इसके अलावा, उसने एक अन्य व्यक्ति की कार गिरवी रखवाकर पैसे उधार दिलाने की कोशिश की थी। इसी विवाद में लोकेश ने बबलू के साथ शराब पी और फिर पत्थर व लकड़ी से उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद वह सांवरिया सेठ घूमने चला गया था। पुलिस ने शनिवार को उसे गिरफ्तार किया था।