सांप की प्रजाति कुछ सांपों के काटने से अधिक विष निकलता है और वे अधिक खतरनाक होते हैं। कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर इसी तरह के हैं। शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के पास काटे जाने से अधिक गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। हड्डी के उभार पर बाइट में विष का असर कम रहता है, जबकि मांसपेशी पर दंश हो तो गंभीरता अधिक रहती है। विष के चार विशेष प्रकार है। सांप का जहर न्यूरोटॉक्सिक, हो तो गंभीरता अधिक रहती है, लेकिन समय पर उपचार मिले तो सांप के काटने से होने वाले नुकसान को कम कर सकता है।
जहरीले सांप के काटने के निशान और लक्षण सांप के काटने के बाद निशान हो जाता है। फैंग माक्र्स: दो बड़े, गहरे पंचर निशान होते है, यह विषैले दांतों से बनते हैं। विषहीन सांप के काटने के निशान छोटे-छोटे, चाप के आकार के निशान, कई पंक्तियों में निशान हो जाते है। सामान्य जहरीले सांप के काटने के लक्षणके आधार पर भी सतर्क रहना चाहिए। कोबरा और करैत के काटने पर पलकों का भारी होना, प्टोसिस, धुंधला दिखना, सांस लेने में तकलीफ, लकवा और बेहोशी छाने लगती है। रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर के काटने वाली जगह पर तेज सूजन, खून का रिसाव, काले धब्बे और पेट दर्द व किडनी फेलियर हो सकती है।
सर्पदंश और असर सूखा दंश : जब सांप काटता है, लेकिन जहर इंजेक्ट नहीं करता। विषैला दंश : जब सांप काटने के साथ जहर भी इंजेक्ट करता है। विष के प्रकार: सांप के जहर को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
न्यूरोटॉक्सिक : यह तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर असर करता है, इससे लकवा या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। हेमोटॉक्सिक : यह जहर रक्त और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे रक्तस्राव और ऊतक क्षति हो सकती है।
साइटोटॉक्सिक : यह जहर काटने वाली जगह पर स्थानीय नुकसान पहुंचाता है। मायोटॉक्सिक : इसका जहर मनुष्य की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है। इसके असर से शरीर में जकडऩ और लकवा हो सकता है।
सर्पदंश की गंभीरता यह खतरनाक : कोबरा के जहर में साइटोटॉक्सिन भी होते हैं जो ऊतक क्षति और कोशिका मृत्यु का कारण बन सकते हैं। विभिन्न कोबरा प्रजातियों में ज़हर की संरचना अलग-अलग होती है, लेकिन इसमें अक्सर न्यूरोटॉक्सिन, साइटोटॉक्सिन और अन्य प्रोटीन शामिल होते हैं।
एक्सपर्ट व्यू : हर मिनट होता है कीमती सांप के काटने के बाद हर मिनट कीमती होता है, तुरंत इलाज से जान बचाई जा सकती है। देरी या घरेलू उपायों में समय बर्बाद न करें। सही इलाज के लिए सही समय पर अस्पताल पहुंचें। यही जीवन बचाने का सबसे आसान और असरदार तरीका है। भारत में 90 फीसदी मामलों में चार तरह के सांप ज्यादा काटते हैं, इनमें कॉमन करैत, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर है। सांप का जहर शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे शरीर में खून बहना, लकवा मारना, किडनी फेल होना, दिल पर असर, मांस पेशियों का टूटना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि पीडि़त को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया जाए। सबसे अच्छा इलाज क्वालिटी एंटी-वेनम देना है, जो जहर का असर कम कर सकता है और जान बचा सकता है। देरी से इलाज, गलत प्राथमिक उपचार और घरेलू नुस्खों पर भरोसा करना स्थिति को और बिगाड़ देता है। कई लोग पहले देसी इलाज या ओझा-तांत्रिक की शरण लेते हैं, इससे हालात गंभीर हो जाते हैं।
डॉ. नरेन्द्र कुमार मेघवाल, जिला अस्पताल
कोबरा कोबरा विष कोबरा से प्राप्त एक शक्तिशाली विष है जो रक्तप्रवाह में प्रवेश करने पर सुन्नता, उल्टी, गंभीर दर्द, काला रक्त, गैंग्रीन और अंतत: मृत्यु का कारण बनता है। कोबरा का ज़हर मुख्यत: न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और संभावित रूप से लकवा और श्वसन विफलता का कारण बन सकता है।
वाइपर वाइपर के ज़हर में न्यूरोटॉक्सिक गुण भी हो सकते हैं। बीटा-न्यूरोटॉक्सिन मौजूद हो सकते हैं जो एसिटाइल कोलाइन के प्रीसिनेप्टिक रिलीज़ को रोकते हैं और मांसपेशियों में कमज़ोरी और श्वसन विफलता का कारण बन सकते हैं। वाइपर के ज़हर में, खासकर कुछ रैटलस्नेक प्रजातियों में, फैसीक्यूलेशन और मायोकिमिया देखा जा सकता है।
वाइपर इनमें अत्यधिक शक्तिशाली, न्यूरोटॉक्सिक विष होता है, जो मांसपेशियों में लकवा मार सकता है। चिकित्सकीय रूप से, इनके विष में ज़्यादातर प्रीसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो न्यूरॉन के अंतिम सिरे की अगले न्यूरॉन तक रासायनिक संचार तंत्र को ठीक से जारी करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।