ऐसे फंसाया जाल में पुलिस अधीक्षक बारां राजकुमार चौधरी ने बताया कि फरियादी देवीशंकर नागर को जून 2022 में एक महिला ने बैंक कर्मचारी बनकर कम ब्याज पर लोन दिलाने का ऑफर दिया था। इसके बाद निजी दस्तावेज लेकर लोन स्वीकृति का लेटर जरिये ई-मेल भिजवाया। इससे उसे विश्वास हो गया। शुरूआत में फाइल चार्ज के नाम पर कुछ रुपए लिए और 1070000 का लोन पास होने का झांसा देकर लोन क्लीयरेन्स व अन्य चार्ज के नाम पर 2.50 लाख और डलवाए। इसके बाद अन्य बैक अधिकारी पुनित, विकास व अन्य ने फाइल केंसिल कराने व रुपए वापस लौटाने के बहाने अलग-अलग चार्ज बताकर 12.50 डलवा लिए। ठगी होने का पता चला तब तक 2065226 रूपए की ठगी हो चुकी थी। इस पर मुकदमा दर्ज कर टीम गठित की गई।
29 साल की लडक़ी करती थी शुरूआत तकनीकी साक्ष्य से जांच में सामने आया कि विकास कुमार, पुनीत कुमार, देवांश सक्सेना, संजीव सक्सेना निवासी गाजियाबाद व सोनी खातून उर्फ टीया खान ने फर्जी बैक अधिकारी बनकर परिवादी नागर से ठगी की थी। इसके बाद तलाश कर जनवरी 2024 में आरोपी विकास कुमार व पुनीत कुमार को गिरफ्तार किया गया था। शेष आरोपी देवांश सक्सेना (22) निवासी सी-1421 अरबन होम्स आदित्य वल्र्ड सिटी गाजियाबाद (उप्र) व सोनी खातून (29) निवासी बलिया जिला सिवान बिहार हाल बरौला गाजियाबाद (यूपी) फरार चल रहे थे। इन दोनों को अब बरौला गाजियाबाद से डिटेन कर गिरफ्तार किया गया। जांच में पता लगा कि फर्जी बैंक कर्मचारी 29 वर्षीय सोनी खातून उर्फ टीया खान फरियादी को मेधा माला, शिबू, कोमल आदि नाम से कॉल करती थी। सचिन एवं पुनीत नाम के फर्जी बैक अधिकारी बनकर षडयन्त्रपूर्वक लोगों से वाट््सअप पर सम्पर्क व अलग अलग यूपीआई नम्बरों पर रुपए ट्रांजेक्शन कराते थे।
कई लोगों से की ठगी आरोपी ठगी के रुपयों को अलग-अलग खाते में डलवाकर नकद निकालते थे। इनहोंने पूछताछ में कई लोगों से लोन के नाम पर ठगी करना स्वीकार किया है। फरियादी से ठगी गई राशि बरामदगी के बारे में आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस टीम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी के सुपरविजन में साइबर थाना प्रभारी अशोक चौधरी, हैड कांस्टेबल सुकेन्द्र ङ्क्षसह, दिग्विजय, कांस्टेबल लक्ष्मण, दिलीप कुमार, करतार ङ्क्षसह, हुकम, दीपेन्द्र, महिला कांस्टेबल रानी, एसपी ऑफिस साइबर सेल प्रभारी एएसआई जगदीश चन्द्र शर्मा शामिल थे।