यह सम्मान देश के लिए गर्व की बात
मयंक इस समय 12वीं कक्षा के छात्र हैं, लेकिन उनकी लगन, जुनून और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है। लगातार कई हफ्तों तक चले इस अद्वितीय प्रयास में मयंक ने दिन-रात एक करके कला का एक नया इतिहास रचा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में बात करते हुए मयंक ने कहा,यह मेरा सपना था कि मैं अपनी कला के ज़रिए कुछ बड़ा कर दिखाऊं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना मेरे लिए सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि मेरे गांव, मेरे राज्य और मेरे देश के लिए गर्व की बात है।
उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे
स्थानीय स्तर पर भी मयंक की इस सफलता पर खुशी की लहर है। उनके माता-पिता, शिक्षक और साथी छात्र मयंक की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग मयंक को बधाइयां दे रहे हैं और उनकी सराहना कर रहे हैं। मयंक बेरीवाल की यह उपलब्धि न केवल अन्ता और राजस्थान, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
पहले किया अप्लाई, फिर मिली अप्रूवल
मयंक ने बताया कि इससे पहले यह रिकॉर्ड केवल 100 घंटे तक की पेंटिंग के लिए ही था। इस पर उन्होंने इस रिकॉर्ड को तोड़ने की ठानी। जनवरी 2024 में इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन अप्लाई किया। संस्था की ओर से उनको अप्रेल में इसकी अप्रूवल मिली। इसके बाद 1 मई से उन्होंने पेंटिंग बनाना शुरू किया। वे प्रतिदिन 4 घंटे पेंटिंग कर इसकी वीडियो और फोटो गिनीज बुक को भेजते थे।