बाजेवाले नहीं मिल रहे तो डीजे की गाड़ी ले रहे बैंडबाजों का भी यही हाल है। मनमांगे दाम लेने के बाद भी सबकी कमी पूरी करना उनके बस की बात नहीं रही है। इन सबका तोड़ भी लोगों ने निकाल लिया है। पिछले साल के मुकाबले इस बार डीजे का चलन बढ़ा है। इस पर ही शादी के सब काम हो जाते हैं। अब गांवों में शादी ब्याह व लगुन चढ़ाने के समय पटाखे चलाने के चलन के चलते पटाखों की बिक्री दिवाली के दिनों से भी ज्यादा हो रही है। चाहे कपड़ों की सिलाई की बात हो या शादी के लिए वाहन किराए पर करने की सब के दाम मंहगाई और इस पर सावे की मार के कारण बढ़ाकर बोले जा रहे हैं। कपडा व्यवसायी गौरव मारु का कहना था कि पिछले सालों के मुकाबले इस बार कपडे के दामों में ज्यादा तेजी नहीं है।
इस बार ज्यादा शादियां अप्रेल माह के आखातीज के अबूझ सावे के बाद भी सावे हैं। इस बार अबूझ सावों को छोड़ दें तों शादियों के मुहुर्त अप्रेल मई जून में भरपूर हैं। ऐसे में अबूझ सावों के अलावा भी शादियों की धूम रहने वाली है। इस बार क्षेत्र में खेती किसानी के हिसाब से प्रति बीघा उपज अच्छी हुई है। लेकिन भाव अच्छे नहीं रहने से लहसुन रोकना मजबूरी हो गई है।