राजस्थान में महज 5 सरकारी कर्मचारियों की पहल ने किया कमाल, जल संकट दूर करने के लिए चलाया अभियान
Rajasthan News : बांसवाड़ा जिले में एक बड़ा उदाहरण है। कुशलगढ़ की रामगढ़ पंचायत का वड़लीपाड़ा गांव, जहां महज पांच सरकारी कर्मचारियों की पहल से शुरू हुआ कार्य अब एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुका है। खबर बेहद रोचक है।
कुशलगढ़. सरकारी कार्मिको ने ग्रामीणों की मदद से बनाया श्मशान घाट। फोटो पत्रिका
Rajasthan News : जब नीयत में सेवा हो और मन में बदलाव का जज्बा, तो सरकारी दफ्तरों की सीमाएं समाजसेवा की राह में रुकावट नहीं बनतीं। ऐसा ही एक उदाहरण है कुशलगढ़ की रामगढ़ पंचायत का वड़लीपाड़ा गांव, जहां महज पांच सरकारी कर्मचारियों की पहल से शुरू हुआ कार्य अब एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुका है।
दो वर्ष पूर्व बनी ग्राम विकास समिति अब 30 समर्पित सरकारी सेवकों की टीम के रूप में कार्यरत है। यह संगठन वर्तमान में 12 गांवों में जल संकट के समाधान के लिए तालाब निर्माण का अभियान चला रहा है। इससे पहले यह समिति श्मशान घाट के समतलीकरण, सौंदर्यीकरण और पंचायत भवन के गुणवत्तापूर्ण निर्माण जैसे कार्यों को अब तक सफलतापूर्वक अंजाम दे चुकी है।
ऐसे हुई समिति की शुरुआत
वड़लीपाड़ा निवासी और राउमावि कुशलगढ़ में व्याख्याता लालसिंह मईड़ा ने दो वर्ष पूर्व गांव के श्मशान घाट की बदहाल स्थिति को देखकर पहल की। जब कोई आगे नहीं आया, तब उन्होंने अन्य चार सरकारी साथियों के साथ मिलकर ग्राम विकास समिति का गठन किया। इस कार्य से प्रेरित होकर न सिर्फ ग्रामीण जुड़े, बल्कि पंचायत और जनप्रतिनिधियों ने भी भामाशाह बनकर सहयोग दिया।
हलमा बना सहारा
समिति सदस्य व व्याख्याता भानूप्रताप मईड़ा ने बताया कि श्मशान घाट विकास कार्य की शुरुआत हलमा पद्धति से हुई थी। प्रत्येक घर से एक-एक व्यक्ति काम में जुटा और देखते-देखते 70-80 लोगों की सहभागिता से कार्य संपन्न हो गया। अब तालाबों के निर्माण के लिए भी इसी पद्धति से कार्य करने की योजना है।
समिति के अनुसार छापरी, रीछवानी, छोटी खाखरिया, बड़ी खाखरिया, कोटड़ी बगायचा, हाथिया दिल्ली, रामगढ़, वड़लीपाड़ा, हिंडोलिया खुर्द, बांसड़ी सहित 12 गांव जल संकट से जूझ रहे हैं। तालाबों का निर्माण इसका स्थायी समाधान हो सकता है, लेकिन इसके लिए प्रशासनिक अनुमति, फंडिंग और तकनीकी सहयोग आवश्यक है। इसी उद्देश्य से समिति के सदस्य लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
इस समिति में शिक्षक, चिकित्सक, पुलिसकर्मी, पंचायत सहायक, प्रशासनिक अधिकारी जैसे विभिन्न विभागों के सरकारी कार्मिक जुड़े हुए हैं। इनका उद्देश्य सिर्फ सरकारी काम करना नहीं, बल्कि समाज के लिए कुछ अतिरिक्त करना है।