94 करोड़ रुपए 30 किमी लंबे साबला मार्ग पर होंगे खर्च
विश्व बैंक वित्त पोषित योजना के तहत बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ दोनों जिलों के लिए 630 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत हुई। इसमें दो रोड बनाए जाने का प्रस्ताव है। बांसवाड़ा में गढ़ी से कुशलगढ़ तक का 80.400 किमी का जबकि प्रतापगढ़ जिले में पारसोला-साबला रोड को शामिल किया गया है। दोनों मार्ग के निर्माण पर 334 करोड़ रुपए की राशि के टेंडर जारी कर दिए गए हैं। इसमें करीब 240 करोड़ रुपए बांसवाड़ा और 94 करोड़ रुपए 30 किलोमीटर लंबे साबला मार्ग पर खर्च किए जाएंगे।इस पर वसूला जाएगा टोल
इस रोड का निर्माण ‘एनओटी मोड’ पर किया जाएगा। इसके तहत एक बार पूरी तरह टू-लेन रोड बनने के बाद इस पर टोल वसूला जाएगा। संबंधित कंपनी को निर्माण के बाद 10 साल तक इसका रख रखाव भी करना होगा।296 रखरखाव व अन्य पर होंगे खर्च
630 में से 334 करोड़ रुपए निर्माण पर खर्च कर लिए जाएंगे। शेष 296 करोड़ रुपए 10 साल के रखरखाव आदि पर खर्च किए जाएंगे। गौरतलब है कि टोल वसूलने के लिए टोल प्लाजा आदि का निर्माण भी किया जाएगा। साथ ही इस रोड पर सुविधाओं की भी दरकार को पूरा किया जाएगा।अभी स्टेट हाई-वे के तहत
वर्तमान में यह प्रोजेक्ट स्टेट हाई-वे के रूप में पीडब्ल्यूडी के पास है। यह रोड कई स्थान पर टूट गया है या फिर अन्य किसी प्रकार की समस्या आ गई। वर्तमान में इसको दूर किया जा रहा है। कारण जब संबंधित एजेंसी के पास यह जाएगा तक सभी प्रकार की स्थिति परिस्थिति से अवगत कराया जाएगा। साथ ही सभी प्रकार की लिखत की जाएगी। इसमें दोनों एजेंसी के बड़े अधिकारी शामिल होंगे।7 मीटर हो जाएगी चौड़ाई
वर्तमान में गढ़ी से कुशलगढ़ सिंगल रोड है। बनने के बाद इसकी चौड़ाई 7 मीटर हो जाएगी। निर्माण के तहत कई स्थान पर पुलिया, 2 ब्रिज और अंडर पास बनाए जाएंगे। इससे इस रोड पर तेजी से वाहन दौड़ सकेंगे। इसके साथ ही इस रोड पर कई स्थान पर पौधरोपण किया जाएगा। इससे आने जाने वालों को यह एक अच्छी फीलिंग देगा।वर्ल्ड बैंक भेजी प्रोग्रेस
इस प्रकार के प्रोजेक्ट की फाइनल अथॉरिटी वर्ल्ड बैंक के पास ही होती है। इस रोड के टेंडर करने के बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक को भेज दी गई है। वहां से आदेश होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।टेंडर कर दिए
कुल 630 करोड़ रुपए की परियोजना है। इसमें बांसवाड़ा का गढ़ी से कुशलगढ़ और प्रतापगढ़ में साबला-पारसोला रोड़ शामिल है। इसमें 334 करोड़ रुपए निर्माण पर खर्च किए जाएंगे। शेष राशि अगले 10 साल तक के रखरखाव पर खर्च की जाएगी। यह वर्ल्ड बैंक फंडिंग प्रोजेक्ट है।डीके मीणा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर