बारिश न होने से
बलौदा बाजार जिले में किसान न तो खेतों में खाद का छिड़काव कर पा रहे हैं और न ही बियासी हो पा रही है। बारिश की कमी से फसल पर संकट मंडरा रहा है और किसानों को अकाल की काली छाया पास पहुंचती नजर आ रही है। बारिश की कमी से धान को प्रभावित होता देखकर अब किसानों ने धान की फसल को बचाने के लिए नहरों के माध्यम से पानी छोड़े जाने की भी मांग की है।
विदित हो कि सावन माह के समाप्त होने तक जिले में महज 557.6 मिमी बारिश ही हुई है। जिले के किसानों के साल भर का पूरा बजट धान पर ही निर्भर करता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिले के किसान खरीफ के धान की फसल पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं। परंतु जिले में बीते दो सप्ताह से पर्याप्त बारिश नहीं होने से अब किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। वर्तमान में धान के पौधे लगभग एक से डेढ़ फीट के हो चुके हैं। सामान्य दिनों में इस समय तक किसानों का बियासी का कार्य पूरी हो चुका होता है, परंतु बारिश नहीं होने से जिले में अब तक महज 40.44 फीसदी ही बियासी हो पाई है। आसमान साफ होने, बारिश नहीं होने और तेज धूप तथा भीषण गर्मी की वजह से अब धान के खेत से पानी के साथ नमी भी तेजी से कम हो रही है। जिले के बहुतेरे स्थानों पर अब धान के खेतों में बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं।
मौसम का हाल देखते हुए किसानों के साथ ही साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी चिंतित हैं और अब लोगों को नुकसान की चिंता सता रही है। सोमवार को जिला मुयालय बलौदा बाजार के आसपास के ग्रामों लटुवा, ढाबाडीह, खजुरी, पारागांव, करही, बिटकुली आदि गांवों का निरीक्षण किया गया तो तेज धूप और गर्मी में अब धान के पौधे कुहलाते हुए नजर आने लगे हैं। कई स्थानों पर अब धान के पौधे पीले भी पड़ने लगे हैं, जिससे किसान बेहद चिंतित हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार धान की फसल को अब जल्द तेज बारिश की बेहद आवश्यकता है अन्यथा इस वर्ष तगड़ा नुकसान तय है।
किसानों के अनुसार धान की फसल के लिए इस सप्ताह बारिश होना बेहद आवश्यक है। नदी नालों के किनारों के ग्रामों के किसान तो नदी नालों से किसी तरह पाइप लाइन के माध्यम से अपने खेतों तक पानी पहुंचा रहे हैं, परंतु असिंचित इलाकों और टेल एरिया के ग्रामों में धान की फसल के लिए बारिश नहीं होने से स्थिति गंभीर होती जा रही है।
20 लाख हे. से अधिक है धान का रकबा जिले में
जिले के बलौदा बाजार ब्लॉक में 40458 हेक्टेयरए पलारी ब्लॉक में 43700 हेक्टेयर, भाटापारा ब्लॉक में 31644 हेक्टेयर, सिमगा ब्लॉक में 39150 हेक्टेयर और कसडोल ब्लॉक में 45611 हेक्टेयर समेत खरीफ धान का कुल रकबा 20 लाख 564 हेक्टेयर है। सामान्य वर्षा के दिनों में इस सीजन तक बियासी का अधिकांश कार्य पूर्ण हो जाता है परंतु अब तक जिले में बारिश की कमी की वजह से रोपाई कार्य ही सौ प्रतिशत नहीं हो पाई है। बियासी के लिए खेतों में पर्याप्त पानी भरा हुआ होना अनिवार्य है, परंतु जिले में अब तक औसत से कम बारिश होने की वजह से बयासी कार्य लगातार पिछड़ते जा रहा है। रोपाई के बाद अब बारिश रुक जाने से रोपाई करने वाले किसान भी बेहद चिंतित हैं। जिले के अधिकांश ग्रामीण इलाकों स्थिति यह है कि तेज धूप व गर्मी की वजह से खेत सूख रहे हैं और धान के खेतों में अब बड़ी बड़ी दरारें नजर आने लगी हैं, जिसने किसानों को चिंतित कर दिया है।
असिंचित फसलों को नुकसान तय
खुश्क मौसम और तेज धूप की वजह से अब किसानों के साथ ही साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी बेहद चिंतित हैं। सामान्य तौर पर धान की फसल में इस अवस्था तक किसान बियासी कार्य पूर्ण कर यूरिया और अन्य खाद का छिड़काव करते हैं ताकि पौधों की वृद्धि के साथ ही साथ तने की मजबूती तेजी से हो परंतु अब तक बियासी कार्य में पिछड़े किसान बारिश न होने से अब खाद का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं। जिले में 80 फीसदी धान की फसल पूरी तरह से मानसूनी बारिश पर ही आधारित है जो बारिश नहीं होने से सूखने के कगार तक पहुंच सकती है।
अब तक कितनी बारिश हुई है
जिले में 1 जून से 10 अगस्त तक के दौरान सिमगा तहसील में 508 मिमी, भाटापारा तहसील में 556 मिमी, बलौदा बाजार तहसील में 494 मिमी, पलारी तहसील में 614 मिमी, सुहेला तहसील में 707 मिमी, टुण्ड्रा तहसील में 629 मिमी और सोनाखान तहसील में 556 मिमी बारिश हुई है। जिले में बीते दो सप्ताह से जमकर बारिश नहीं हुई है, वहीं दूसरी ओर तेज धूप तथा गर्मी से खेत की रही सही नमी भी तेजी से सूख रही है।