Dargah Fair:
बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र पर लगने वाले सालाना उर्स को लेकर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। यहां तक की स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम हमला सहित अन्य कारण का हवाला देते हुए प्रशासन और देवीपाटन मंडलायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। प्रशासन से अनुमति न मिलने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की गई थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याची वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ बहराइच से पूछा कि वर्तमान मुकदमा दाखिल करने का याची को क्या अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जिस कमेटी ने यह मुकदमा दायर किया है। उसका गठन कैसे हुआ था। कमेटी का गठन किसने और किस प्रावधान के तहत किया। इस पर याची के अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने दलील दी कि न्यायालय द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में याची की ओर से दस्तावेज दाखिल करने पड़ेंगे। इसके लिए उन्हें समय दिया जाए।
विशेष पीठ का गठन का अधिकार सिर्फ मुख्य न्यायमूर्ति को
अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि अंतरिम प्रार्थना पत्र पर फिलहाल सुनवाई कर ली जाए। क्योंकि रविवार को मुख्य मेले का आयोजन होना है। न्यायालय ने इस पर इंकार कर दिया। इसके बाद याची के अधिवक्ता ने शनिवार को विशेष पीठ के गठन करने का आदेश देने का अनुरोध किया। जिस पर न्यायालय ने यह कहते हुए इनकार कर दिया। कहा कि विशेष पीठ का गठन करने का अधिकार सिर्फ मुख्य न्याय मूर्ति को है। दरगाह मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी
न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने याची को इस बात की स्वतंत्रता जरूर दी है कि वह विशेष पीठ के गठन के संबंध में प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को नियत की गई है।