पत्र में एक्सईएन ने दावा किया है कि 13 जून की शाम उन्हें जिलाधिकारी के कैंप कार्यालय पर बाढ़ प्रभावित विस्थापितों की जानकारी के लिए बुलाया गया था। कार्यालय में प्रवेश के वक्त मोबाइल फोन जमा करा लिया गया। अंदर पहुंचते ही जिलाधिकारी ने कथित रूप से अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा, “तुम अपने आप को हीरो समझते हो, तुमसे बड़ा हीरो मैं हूं,” और इसके बाद डंडे से मारपीट की।
एक्सईएन ने कहा मैं आजमगढ़ में काम नहीं कर सकता
सचदेवा का आरोप है कि डीएम ने दो से तीन बार डंडे से प्रहार किए और कहा, “जिस बाप को बताना है, बता दो। मेरा कोई कुछ नहीं कर पाएगा।” इसके बाद उन्हें कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया। एक्सईएन ने कहा कि इस घटना से उनका पूरा परिवार मानसिक तनाव, भय और अवसाद में है, और अब आजमगढ़ में काम करना उनके लिए संभव नहीं है। इस घटना ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “उत्तर प्रदेश में अधिकारी बनाम अधिकारी की लड़ाई में जनता का नुकसान हो रहा है। हिंसक होना समाधान नहीं, समस्या है।”
वहीं, जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने अपने बचाव में कहा है कि कुछ अधिकारी काम के प्रति गंभीर नहीं होते और राजनीतिक गतिविधियों में अधिक रुचि लेते हैं। उन्होंने मारपीट के आरोप को खारिज करते हुए इसे एकतरफा और भ्रामक बताया है।
फिलहाल, मामले को लेकर शासन स्तर से जांच की मांग तेज हो गई है और इंजीनियर्स एसोसिएशन ने भी आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।