1. सही साइज का टायर चुनें
हर गाड़ी के लिए एक खास टायर साइज निर्धारित होता है जो कंपनी तय करती है। यह कंपनी से दिए गए यूजर मैन्युअल में मिल जाता है। गलत साइज का टायर लगाने से ब्रेकिंग सिस्टम, बैलेंस और माइलेज पर बुरा असर पड़ सकता है।
2. ट्यूब या ट्यूबलेस (कौन सा टायर खरीदें?)
आजकल ज्यादातर गाड़ियां ट्यूबलेस टायर के साथ आती हैं क्योंकि इनका पंक्चर धीरे होता है और हवा धीरे-धीरे निकलती है जिससे आप सेफ रहते हैं। अगर आपकी गाड़ी में अभी भी ट्यूब वाला टायर है तो अपग्रेड करना एक बेहतर फैसला हो सकता है।
3. ग्रिप और ट्रेड पैटर्न पर का रखें ध्यान
टायर का ट्रेड पैटर्न यानी रबर की सतह पर बनी डिजाइनें इस बात को तय करती हैं कि बारिश या फिसलन भरी सड़कों पर आपकी गाड़ी कितनी पकड़ बना पाती है। जिन इलाकों में ज्यादा पानी या कीचड़ होता है वहां डीप ट्रेड पैटर्न वाले टायर जरूरी हैं।
4. टायर की मैन्युफैक्चरिंग डेट को करें चेक
हर टायर की साइड में एक कोड लिखा होता है। उदाहरण के लिए 2824 है, जिसका मतलब है कि वह टायर 2024 के 28वें हफ्ते में बना था। 6 महीने से ज्यादा पुराना टायर न खरीदें क्योंकि रबर समय के साथ खराब होने लगता है, चाहे इस्तेमाल किया गया हो या फिर नहीं।
5. कीमत और गारंटी पर रखें नजर
कुछ दुकानें टायर की कीमत में फिटिंग, व्हील बैलेंसिंग या नोजल चार्ज अलग से जोड़ती हैं। खरीदते समय पूछें कि ये सब शामिल हैं या नहीं। साथ ही अच्छी कंपनियां 3 से 5 साल की वारंटी भी देती हैं जिससे भविष्य में नुकसान से बचा जा सकता है।
टायर सिर्फ एक रबर का टुकड़ा नहीं हैं बल्कि आपकी गाड़ी की सुरक्षा का आधार है। इसलिए अगली बार जब भी टायर खरीदने जाएं तो इन 5 बातों को जरूर याद रखें। इससे न सिर्फ आपकी गाड़ी स्मूद चलेगी बल्कि आप और आपके परिवार की सुरक्षा भी बनी रहेगी।