वक्री शनि और अतिचारी गुरु लाएंगे आपदा
मेदिनी ज्योतिष की मानें तो जिस मानसून सीजन में गुरु अतिचारी हों और शनि वक्री हों तो असामान्य वर्षा होती है। गुरु इस वर्ष अतिचारी हैं और शनि 13 जुलाई से वक्री हो जाएंगे और 27 नवंबर तक वक्री अवस्था में ही भ्रमण करेंगे।
गुरु और शनि के इस अशुभ गोचर के चलते हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर और उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर 15 जुलाई से 30 जुलाई के बीच बादल फटने और भूस्खलन से जन-धन की हानि होने की आशंका है। अगस्त और सितंबर में दक्षिण भारत में सामान्य से कम वर्षा होगी।
मानसून सीजन 2025 में कहीं कम तो कहीं अधिक बारिश
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य 22 जून को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद मानसून सीजन 2025 शुरू हो जाएगा। लेकिन इस मानसून सीजन में कहीं कम तो कहीं अधिक बारिश के संकेत हैं। इस समय की ग्रहीय स्थितियों के कारण 15 जुलाई तक के समय में आंध्र प्रदेश और ओडिशा में समुद्री तूफान का खतरा रहेगा। इसके अलावा वक्री शनि और कुंज केतु योग के प्रभाव से उत्तराखंड और हिमाचल में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं घट सकती हैं। 28 जुलाई तक मंगल के सिंह राशि में गोचर तक सौराष्ट्र और मराठवाड़ा में कम वर्षा होगी। वहीं 28 जुलाई से 13 सितंबर के बीच मंगल जब कन्या राशि में गोचर करेंगे तो कर्नाटक समेत दक्षिण भारत में बारिश होगी पर यह खेतों की प्यास बुझाने के लिए शायद पर्याप्त न हो।
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पूर्वी यूपी, मध्य भारत में इस समय होगी जोरदार बारिश
27 जून को चंद्रमा के पुष्य नक्षत्र में बुध के साथ युति करने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में अच्छी वर्षा हो सकती है। 2 जुलाई को चंद्रमा के हस्त नक्षत्र में आने के बाद दिल्ली-एनसीआर में कुछ स्थानों पर वर्षा हो सकती है। 5 जुलाई को चंद्रमा के स्वाति नक्षत्र में और फिर 7 जुलाई को चंद्रमा के अनुराधा नक्षत्र में होने के समय भी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अच्छी वर्षा हो सकती है।
10 जुलाई को चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा में होगा और फिर 12 जुलाई को श्रवण नक्षत्र में आकर राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में जोरदार बारिश होगी। 16 जुलाई को सूर्य के कर्क राशि में आने के बाद मानसून देश के बड़े हिस्से में बारिश होगी।