राजघाट पुल डूबने के बाद उखड़ी सुरक्षा परत

बिना रैलिंग पुल, जहां सुरक्षा सिर्फ नाम की है
पुल की एक और गंभीर समस्या है रैलिंग का अभाव। इस पुल पर केवल 6-6 इंच की पत्थर की मुंडियाँ बनी हैं, जो न तो वाहन रोक सकती हैं और न ही सुरक्षा दे सकती हैं। यहां से 25 से अधिक बसें, 200 से ज्यादा भारी ट्रक और हर दिन लगभग 1,000 छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। ऐसे में सरियों और बिना रैलिंग वाले इस पुल पर दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।जिले की सात सड़कें भी प्रभावित
बाढ़ का असर सिर्फ राजघाट पुल तक सीमित नहीं है। जिले में पीडब्ल्यूडी की 6 प्रमुख सड़कों पर सात पुल-पुलियां और रपटे या तो बह गए हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें वाजीदपुर-पनवाड़ी मार्ग, करीला वीआईपी मार्ग, और रिजोदा-कुकरेटा मार्ग प्रमुख हैं।सावधानी ही सुरक्षा: प्रशासन और जनता दोनों की जिम्मेदारी
हालात स्पष्ट हैं… जिले में बाढ़ ने सिर्फ फसलें ही नहीं बहाईं, सड़कें और संरचनाएं भी इसकी चपेट में आ गईं। प्रशासन ने मरम्मत की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन जब तक यह पूरी नहीं होती, स्थानीय नागरिकों और वाहन चालकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।प्रमुख क्षति विवरण
वाजीदपुर-पनवाड़ी मार्ग वेंटेड काजवे क्षतिग्रस्त 300 लाख रु.
करीला वीआईपी मार्ग पुलिया पूरी तरह क्षतिग्रस्त 180 लाख रु.
कुकरेटा मार्ग तीन रपटे बह गए 22 लाख रु.
छीपोन मार्ग पुलिया की मिट्टी बही 10 लाख रु.
सींगाखेड़ी पुलिया स्लैब उखड़ा 10 लाख रु.
झीला मार्ग शोल्डर-फिलिंग क्षतिग्रस्त 1.5 लाख रु.
ओर नदी काजवे क्षतिग्रस्त 2.5 लाख रु.
कुल अनुमानित क्षति 526 लाख (5.26 करोड़ रु.)