उन्होंने कहा कि यूरिया भी 50 प्रतिशत ही उपलब्ध (Shortage of Fertilizers) हो पाया है। वर्तमान में कृषि कार्य प्रारंभ हो रहा है, ऐसे में डीएपी खाद की आवश्यकता यूरिया से अधिक है जिसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा जिले में 19 हजार 200 क्विंटल खाद की आवश्यकता है, वर्तमान में केवल 3 हजार 450 क्विंटल खाद ही समितियों तक पहुंचा है।
खाद की कमी (Shortage of Fertilizers) के कारण किसानों की फसलों को पोषक तत्व प्रदान करने में समस्या आ रही है, इसका सीधा असर इनकी पैदावार पर पड़ेगा। इस दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, प्रदेश महामंत्री जेपी गुप्ता, पूर्व जिलाध्यक्ष अजय अग्रवाल, राकेश गुप्ता, पूर्व महापौर डॉ. अजय तिर्की, नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद, द्वितेन्द्र मिश्रा, हेमंत सिन्हा, मो. इस्लाम खान, नुरूल अमीन सिद्दीकी, अनूप मेहता, शैलेन्द्र प्रताप सिंह सहित अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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टीएस सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा जिले के लुण्ड्रा में तो खाद आबंटन की स्थिति सबसे खराब है। यहां के 12 समितियों में से 8 समितियां ऐसी हैं, जहां पर इफको खाद की उपलब्धता तथा 6 समितियों में डीएपी (Shortage of Fertilizers) की उपलब्धता शून्य है। ऐसे में किसानों को खेती का कार्य करने में कितनी परेशानी होगी, इसे समझा जा सकता है।
खाद की कमी (Shortage of Fertilizers) को दूर करने के लिए निजी दुकानों से खाद की खरीदी कर वैकल्पिक व्यवस्था बनाना खर्चीला है, जिस कारण किसान काफी परेशान हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहला वर्ष है जब किसानों को खरीफ सीजन में शासकीय योजनाओं के तहत शून्य लाभ मिला है।