उप जिला अस्पताल प्रभारी चिकित्सक अंकित जेटली काे एपीओ करने के बाद चिकित्सकों की ओर कमी हो गई। शिशु रोग विशेषज्ञ के कक्ष में बड़ी संख्या में भीड़ रहती है। कभी पोस्टमार्टम तो कभी किसी अन्य कार्य में चिकित्सक व्यस्त होने से मरीजों को भारी परेशानी हो जाती है। उप जिला अस्पताल जिन चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है, उनके इधर-उधर होने से स्थिति खराब हो रही है। इधर विभाग ने चिकित्सक को एपीओ तो कर दिया, लेकिन उनके स्थान पर कोई नियुक्ति नहीं की है। महिला रोग विशेषज्ञ भी ज्वाॅइन कर मेडिकल लीव पर चली गई।बैठने को नहीं जगह
अस्पताल में चिकित्सकों के बैठने को जगह नहीं है। एक ही गैलरी में बने चार कमरों में सभी चिकित्सकों के बैठने के कारण गैलरी में मरीज की लाइन लगने से भारी भीड़ हो जाती है। इससे अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी तो ओपीडी के समय सभी पलंग फुल हो जाते हैं। गौरतलब है कि तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री बजट घोषणा में बने उप जिला अस्पताल में अभी जगह नहीं होने कारण 30 बेड ही लगे हुए हैं। ओपीडी के दौरान कई बार मरीजों को भर्ती करने की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में 30 बेड पर ही व्यवस्था बनानी होती है। कभी-कभी एक बेड पर दो मरीज रखने पड़ते हैं। हालांकि ओपीडी के समय के बाद यह संख्या कम हो जाती है। कुछ मरीजों को ग्लूकोज आदि की बोतल लगाकर छुट्टी कर दी जाती है। उप जिला अस्पताल की घोषणा के बाद बजट का आवंटन भी हो चुका है। चिकित्सकों की नियुक्ति भी प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन अभी पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
नए भवन निर्माण की प्रक्रिया जारीहमारा काम राज्य सरकार के आदेशों की पालना कराना है। जो चिकित्सक हैं, वो व्यवस्था संभालेंगे। अभी 120 चिकित्सकों के पद रिक्त है, जिनके जल्दी भरने की संभावना है। महिला रोग विशेषज्ञ मेडिकल लीव पर है। उन्होंने सहायक प्रोफेसर पर चयन होना हमें बताया है। अस्पताल के नए भवन निर्माण की प्रक्रिया जारी है।योगेंद्र शर्मा, सीएमएचओ, अलवर।