मजबूरी में तपती धूप में काममालाखेड़ा क्षेत्र के परसा का बास गांव में किसान इन दिनों प्याज के बीज (कण) की खेती में व्यस्त हैं। यह कार्य जून के महीने में ही होता है, इसलिए किसान इस भीषण गर्मी में भी काम करने को मजबूर हैं। किसान भगत सिंह कहते हैं, “अगर इस समय काम नहीं किया गया तो सारी फसल खराब हो जाएगी।”गांव की महिलाएं दोपहर के समय में भी खेतों में काम कर रही हैं।
एक महिला मजदूर कहती हैं, “गर्मी और धूप से शरीर जलता है, लेकिन काम करना मजबूरी है। घर चलाना है, बच्चों को पालना है।”रात में भी चैन नहींगर्मी का कहर रात में भी कम नहीं होता। केसंती देवी बताती हैं, “बिजली रातभर आती-जाती रहती है। गर्म हवा पंखे से भी निकलती है, जैसे लू चल रही हो। नींद पूरी नहीं होती, थकान बनी रहती है।”सेहत और अर्थव्यवस्था दोनों पर असरभीषण गर्मी ने केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि दिहाड़ी मजदूरों की आय पर भी असर डाला है।
अधिक गर्मी के कारण काम की गति धीमी हो जाती है, जिससे आमदनी घट जाती है। साथ ही, लू और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं।कर्तव्य निभा रहे हैं किसान और जवानएक ओर जहां किसान खेतों में मेहनत कर रहे हैं, वहीं सीमा पर जवान भी इस झुलसाने वाली गर्मी में देश की रक्षा में तैनात हैं। इन हालातों में “जय जवान, जय किसान” का नारा फिर से जीवंत होता दिखाई दे रहा है।
राजस्थान में हर साल गर्मी एक नई चुनौती लेकर आती है, लेकिन ग्रामीणों का जज़्बा यह दिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत और उम्मीद का साथ कभी नहीं छूटता।