Alwar . सरिस्का टाइगर रिजर्व में जून से इलेक्टि्रक बसों (ईवी) के संचालन की तैयारी है। इसके लिए राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (आरएसआरटीसी) ने 30 बसों के लिए टेंडर लगा दिए हैं। पांडुपोल तक इन बसों का संचालन होगा। वर्कऑर्डर जारी होने के बाद बसों का किराया प्रति श्रद्धालु तय होगा।
एक बस का फेरा 110 मिनट का होगा सरिस्का में पांडुपोल मंदिर है, जिसकी सरिस्का गेट व टहला गेट से बराबर दूरी है। एक साइड से 22 किमी है। ऐसे में इलेक्टि्रक बस एक फेरा 110 मिनट में पूरा करेगी। यानी 40 मिनट जाने में लगेंगे और इतना ही समय बस को गेट तक आने में लगेगा। 30 मिनट बस पांडुपोल मंदिर पार्किंग में खड़ी होगी। एक इलेक्टि्रक बस में 20 सवारियां बैठ सकेंगी। ऐसे में 30 बसों में एक फेरे में 600 श्रद्धालु आ-जा सकेंगे। सरिस्का गेट से 15 बसें चलेंगी और दूसरे गेट टहला से भी इतनी ही बसों का संचालन मंदिर के लिए होगा।
चार्जिंग स्टेशन यहां बसों के संचालन के लिए दो गेट हैं। ऐसे में चार्जिंग स्टेशन भी दो बनाए जाएंगे। एक भर्तृहरि धाम के पास बनेगा और दूसरा पांडुपोल मंदिर पार्किंग के पास। भर्तृहरि धाम के पास चार्जिंग प्वाइंट संबंधित फर्म बनाएगी।
ग्रेवल सड़क इस माह होगी ठीक सरिस्का व टहला गेट से ग्रेवल सड़क पांडुपोल मंदिर तक है, लेकिन गुणवत्ता ठीक नहीं है। ऐसे में इसको आधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। इस पर करीब 7 करोड़ रुपए खर्च आएगा।
यह रखना होगा ध्यान – इलेक्टि्रक बस सरिस्का या टहला गेट से शुरू होगी, जो सीधे मंदिर तक जाएगी। रास्ते में कहीं नहीं रुकेगी। – बस में सवार श्रद्धालु रास्ते में कहीं भी नहीं उतर पाएंगे। बस से उतरने की अनुमति मंदिर व गेट पर ही होगी।
– प्लास्टिक का सामान खिड़कियों से नहीं फेंक सकेंगे। – वन्यजीव को देख कर शोर भी नहीं मचाएंगे। – जिस बस से श्रद्धालु गए हैं, उसी से वापस लौटना होगा। दूसरे श्रद्धालु की सीट पर काबिज नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह संभव हो रहा सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का में इलेक्टि्रक बसों के संचालन के आदेश दिए थे। अब तक पांडुपोल मंदिर तक डीजल-पेट्रोल के वाहन चलाए जा रहे थे, जिससे वन्यजीव विचलित हो रहे थे। इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
सरिस्का के लिए इलेक्टि्रक बसों के टेंडर आरएसआरटीसी के स्तर से लगाए गए हैं। उम्मीद है कि जून में इन बसों का संचालन हो जाएगा। – संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का