scriptसावन में भोलेबाबा को अर्पित करें ये खास चीज, पितरों के प्रसन्न होते ही खुल जाएंगे किस्मत के ताले | Sawan 2025 Special Offer Akshata to Shiv Ji in Sawan locks of luck will open as soon as ancestors are happy | Patrika News
पूजा

सावन में भोलेबाबा को अर्पित करें ये खास चीज, पितरों के प्रसन्न होते ही खुल जाएंगे किस्मत के ताले

Shiv Ji in Sawan: भोलेनाथ का प्रिय महीना श्रावण 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिसे लेकर शिव भक्तों में विशेष उत्साह है। इस दौरान विश्व के नाथ की पूजा का विशेष महत्व (Akshata to Shiv ) है। यूं तो भोलेनाथ जल, बेलपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं, मगर कुछ पूजन सामग्रियों का विशेष स्थान है। पूजा-अर्चना में ‘अक्षत’ यानी चावल का स्थान अनमोल है। इसे अर्पित करने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं (Sawan 2025 Special Offer)।

भारतJul 08, 2025 / 02:23 pm

Pravin Pandey

Akshata

Akshata to Shiv Ji in Sawan: सावन में शिवजी को अक्षत अर्पित करने का महत्व

Sawan 2025 Special Offer To Shiv : शास्त्रों के अनुसार, अक्षत (Akshata to Shiv) के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। भोलेनाथ को भी अक्षत बेहद प्रिय है। धर्मशास्त्रों में ‘अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ता: सुशोभिता:। मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर’ श्लोक का उल्लेख मिलता है।
‘अक्षत’ का अर्थ है ‘जो टूटा न हो’, जो पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक है। पुराणों में इसे 33 कोटि (प्रकार) देवी-देवताओं को प्रिय बताया गया है। भगवान शिव को अक्षत अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में अक्षत को विशेष स्थान प्राप्त है। देवी-देवता की पूजा हो, या तीज-त्योहार हो, यज्ञ में आहुति या तिलक करना अक्षत के बिना कोई मांगलिक कार्य नहीं होता।

शुद्धता का प्रतीक है अक्षत, इस काम से मिलता है पितरों को मोक्ष

पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, अक्षत अन्न का प्रतीक है, जो जीवन का आधार है। इसे भगवान को अर्पित करने से समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होती है। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि अक्षत से हवन करने पर देवता प्रसन्न होते हैं, और पितृ भी तृप्त होते हैं।
अक्षत को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह बिना टूटे और बिना छीला चावल होता है। इसे तिलक, हवन और पूजा में इस्तेमाल करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अक्षत अर्पित करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और यह कार्य परिवार में सौभाग्य लाता है।

सांसारिक सुख के लिए अर्पित करना चाहिए अक्षत

विश्व के नाथ को भी अक्षत बेहद प्रिय है। शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव प्रकृति और सादगी के प्रतीक हैं। अक्षत उनकी सादगी और शुद्धता से मेल खाता है। शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है। अन्न जीवन का आधार है, और शिव स्वयं जीवन के संरक्षक हैं। यही वजह है कि भोले बाबा को अक्षत से खास लगाव है। सावन में जल, दूध, बेलपत्र और अक्षत से शिव पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सांसारिक सुख मिलता है।

टूटे अक्षत न अर्पित करें

पूजा में अक्षत को साफ और बिना टूटे चावल के रूप में इस्तेमाल करने की बात कही गई है। इसे रोली या हल्दी में मिलाकर तिलक लगाने या शिवलिंग पर चढ़ाने से विशेष फल मिलता है। सावन में अक्षत शिवलिंग पर अर्पित कर ‘ओम नमः शिवाय’ का जप करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
कई प्रमुख हिंदू त्योहारों पर भी चावल और दूध से बने खीर या चावल-गुड़ से बने बखीर के भोग लगाने और प्रसाद के रूप में खाने की परंपरा है। ये त्योहारों की शुभता और आनंद को और भी बढ़ाता है।

खीर के प्रसाद का महत्व

मान्यता है कि आद्रा नक्षत्र में गाय के दूध और चावल से बनी खीर का प्रसाद खाने से वर्षा ऋतु में विषैले कीड़े-मकोड़ों के काटने पर विष का प्रभाव कम होता है। यह नक्षत्र हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में 15 दिनों तक रहता है और इस समय भारत में मानसून प्रवेश करता है जिससे विभिन्न इलाकों में मूसलाधार बारिश होती है। ऐसे समय में ही कीड़े-मकोड़े पनपने लगते हैं।
आर्द्रा नक्षत्र में खीर का भोग लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है। चावल हल्का होता है। यह पाचन शक्ति को मजबूत करने के साथ ही शरीर को एनर्जी भी देता है। यह समय वर्षा ऋतु का होता है जब पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में चावल से बनी खीर आसानी से पच जाती है और शरीर को ऊर्जा मिलती है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Worship / सावन में भोलेबाबा को अर्पित करें ये खास चीज, पितरों के प्रसन्न होते ही खुल जाएंगे किस्मत के ताले

ट्रेंडिंग वीडियो