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Nrisingha Chaturdashi: नृसिंह चतुर्दशी पर इन मंत्रों का जाप हर कष्ट करेगा दूर, जानें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Nrisingha Chaturdashi: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह चतुर्दशी यानी नृसिंह जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन खास मंत्रों का जाप हर कष्ट दूर कर देता है। आइये जानते हैं डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

भारतMay 11, 2025 / 10:43 am

Pravin Pandey

Nrisingh Ekadashi Mantra

Nrisingh Ekadashi Mantra: नृसिंह एकादशी मंत्र

Nrisingha Chatudashi Mantra: अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार नृसिंह चतुर्दशी पर ही भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। इस अवतार में भगवान का स्वरूप आधे शेर का और आधे मनुष्य का था। Nrisingha Chaturdashi पर भगवान विष्णु ने ये अवतार अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने और उसके पिता हिरण्यकश्यप के वध के लिए लिया था।

यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और भक्तों की रक्षा के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल नरसिंह जयंती रविवार 11 मई को मनाई जाएगी, जो हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। नृसिंह प्राकट्योत्सव का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। नृसिंह जयंती (प्राकट्योत्सव) बेहद शुभ मानी जाती है।

नृसिंह जयंती (नृसिंह प्राकट्योत्सव)


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग गणना के आधार पर वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 10 मई को शाम 05:29 बजे शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 11 मई को रात 09:19 बजे होगा। ऐसे में इस साल यह पर्व 11 मई को ही मनाई जाएगी।

नृसिंह जयंती पूजा विधि (Nrishingh Jayanti Puja Vidhi)

1.सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।

2. पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।

3. एक वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं, भगवान नृसिंह की प्रतिमा स्थापित करें। अगर नृसिंह जी की प्रतिमा न हो तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।
4. पूजा शुरू करने से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लें। भगवान नृसिंह की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। चंदन, कुमकुम, हल्दी और गुलाल आदि चीजें अर्पित करें, उन्हें पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनाएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं।
5. भगवान नृसिंह को फल, मिठाई, विशेष रूप से गुड़ और चना अर्पित करें। पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें। घी का दीपक जलाएं।

6. भगवान नृसिंह के मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान नरसिंह की आरती करें।
7. पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए माफी मांगें, अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

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इन मंत्रों का करें जाप (Nrisingh Chaturdashi Mantra)

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्।।
ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः
ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय

पौराणिक कथा

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया था, उसमें भगवान नृसिंह का आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर सिंह का था। वे हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए दोपहर के समय खंभा फाड़कर प्रकट हुए थे। उन्होंने घर की दहलीज पर हिरण्यकश्यप को अपने जंघे पर लिटाकर दोनों हाथों के नखों से उसका पेट फाड़ दिया था।

क्योंकि हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसे मनुष्य या जानवर, दिन या रात में, अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था। इस वजह श्रीहरि ने सबसे अनोखा स्वरूप नृसिंह का धारण किया था।

नृसिंह जयंती का महत्व


ऐसी मान्यता है कि नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह की पूजा करने से भक्तों के अंदर का भय दूर होता है। भगवान नृसिंह की कृपा से जीवन में आने वाले संकटों का नाश होता है। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और लाइफ में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा नृसिंह जयंती के दिन व्रत रखने और भगवान नृसिंह की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और साथ ही ग्रह-दोष से भी मुक्ति मिलती है।

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