अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से सालभर की एकादशी का पुण्य मिल जाता है। महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी पर व्रत किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी पर पूरे दिन पानी नहीं पीया जाता यानी निर्जला व्रत रखा जाता है।
खास बात यह है कि इस साल दो दिन निर्जला एकादशी रखी जाएगी। इसमें पहले दिन निर्जला एकादशी स्मार्त होगी और दूसरे दिन निर्जला एकादशी वैष्णव के लिए होगी। इसके अलावा यह व्रत बेहद शुभ संयोग में रखा जाएगा, जिससे इसका महत्व बढ़ जाता है। भीमसेनी एकादशी के दिन हस्त नक्षत्र और रवियोग के साथ सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। आइये जानते हैं निर्जला एकादशी डेट, शुभ संयोग और अन्य बातें
कब है निर्जला एकादशी (Kab Hai Nirjala Ekadashi)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी 5 जून 2025 को देर रात 2:15 बजे (यानी 6 जून की सुबह) से शुरू होकर, अगले दिन 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक रहेगी।
चूंकि तिथि का उदय 6 जून को हो रहा है, इसलिए व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा। लेकिन उदया तिथि 7 जून को भी है, ऐसे में निर्जला एकादशी दो दिन रखी जाएगी। पहले दिन स्मार्त, गृहस्थ और वैष्णव निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे।
निर्जला एकादशी व्रत स्मार्त: शुक्रवार 6 जून 2025
निर्जला एकादशी व्रत वैष्णव: शनिवार 7 जून 2025 ये भी पढ़ेंः गंगा दशहरा 2025: 5 जून को बना भगीरथ के समय का योग, इतनी संख्या का दान करेगा हर मनोकामना पूरी, जानें मुहूर्त पूजा विधि
निर्जला एकादशी पर शुभ योग (Nirjala Ekadashi Yog)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। शिव योग दिनभर रहकर रात 9:39 बजे तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। इसके साथ ही दोपहर में 3:56 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 5:24 बजे तक त्रिपुष्कर योग है। इसके अलावा भीमसेनी एकादशी के दिन हस्त नक्षत्र और रवियोग के साथ सिद्ध योग का संयोग बन रहा है।
दो दिन पड़ेगा निर्जला एकादशी व्रत
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि अधिकतर यह व्रत एक दिन पड़ता है, लेकिन इस बार यह दो बार मनाया जा रहा है। 6 जून को एकादशी व्रत हस्त नक्षत्र में रखा जाएगा। वहीं, 7 जून को व्रत चित्रा नक्षत्र में यह व्रत किया जाएगा, जो कि बेहद पुण्यदायी माना जा रहा है। दरअसल, 6 जून को गृहस्थ व्रती व्रत का पालन करेंगे। इसके साथ ही 7 जून को वैष्णव संप्रदाय यानी साधु-संत व्रत करेंगे।
निर्जला एकादशी पर जरूर करें ये काम (What To Do ON Nirjala Ekadashi)
1. निर्जला एकादशी के दिन दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। 2. निर्जला एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्र का पाठ करने से कुंडली के सभी दोष समाप्त होते हैं।निर्जला एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम (What Not To Do On Pandava Ekadashi)
1.ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि माता तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इससे पाप के भागी बनते हैं क्योंकि इस दिन तुलसी भी एकादशी का निर्जल व्रत करती हैं।
निर्जला एकादशी पूजा विधि (Nirjala Ekasashi Puja Vidhi)
1.सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं, घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें। 2. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें, भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
निर्जला एकादशी व्रत विधि (Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi)
1.सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म के बाद स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 2. पूरे दिन भगवान स्मरण-ध्यान व जाप करना चाहिए। पूरे दिन और एक रात व्रत रखने के बाद अगली सुबह सूर्योदय के बाद पूजा करके गरीबों, ब्रह्मणों को दान या भोजन कराना चाहिए।भीम ने रखा था निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Kahani)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि एक प्राचीन कथा के अनुसार महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं और मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं।
लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है। भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र! तुम ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जल व्रत करो। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है।
जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। तब भीम ने व्यास जी की आज्ञा का पालन कर निर्जला एकादशी का व्रत किया था। इसीलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।