कथा वाचन के दौरान मंदिर के पुजारी सत्यनारायण ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर के किसी भी रूप का व्रत, पूजन एवं पाठ सच्ची श्रद्धा तथा प्रभु में अटूट विश्वास के साथ करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी यदि मन में श्रद्धा बनी रहे, तो ईश्वर सदैव अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। कथा के समापन के बाद भगवान की आरती उतारी गई।
इसके पश्चात उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया। भजन-कीर्तन के दौरान मंदिर परिसर में भक्तिमय वातावरण बना रहा। श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह एवं भक्ति भाव से कार्यक्रम में भाग लिया। निर्जला एकादशी के इस पुण्य अवसर पर नगर में दिनभर धार्मिक गतिविधियाँ होती रहीं।