पिछले महीने विदेश मंत्री गए थे चीन
पिछले महीने ही भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस दौरान ल संसाधन डेटा शेयर करने, व्यापार प्रतिबंधों, एलएसी पर तनाव कम करने और आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई थी। खबरों की मानें तो इसी मुलाकात ने मोदी की चीन यात्रा की नींव रखी थी।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से की थी मुलाकात
विदेश मंत्री ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की जानकारी शेयर की थी। उन्होंने लिखा था, एससीओ के विदेश मंत्रियों के साथ आज सुबह मैंने बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। मैंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दीं। मैंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हाल में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी। इस संबंध में मैं हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को महत्व देता हूं।
पीएम मोदी का यह छठा दौरा
सबसे पहले पीएम मई 2015 में चीन के आधिकारिक दौरे पर गए थे। इस दौरान जिनपिंग ने उनका भव्य स्वागत किया था। इसके बाद वह 2018 तक हर साल लगातार चीन गए। उन्होंने 2016 और 2017 में एक एक बार और 2018 में दो बार चीन की यात्रा की थी। इसके बाद साल 2019 में जिनपिंग भी भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु के महाबलीपुरम में मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान सीमा पर शांती बनाए रखने को लेकर दोनों देशों ने स्वीकृती जताई थी।
क्या है गलवान घाटी मामला
15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहिद हो गए थे। इसमें चीन की सेना को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। घटना के बाद से ही सीमा पर सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई थी। इस घटना के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एलएसी ) पर तनाव बढ़ गया था और दोनों देशों के रिश्तों में दरार पैदा हो गई थी।
2024 में रूस में मिले थे पीएम और जिनपिंग
पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में ब्रिक्स समिट के मोदी की जिनपिंग से मुलाकात हुई थी। इस दौरान दोनों ने लगभग 50 मिनट बातचीत की सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया था। जिसके बाद अब जल्द पीएम मोदी चीन का दौरा करने जा रहे है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब रूसी तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत के अलावा चीन भी रूसी तेल आयात करता है और वह इसका सबसे बड़ा खरीदार भी है।