क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, यह घटना उस समय हुई जब एक प्रोफेसर और उनकी टीम एक नए फ्लाइट ड्रोन का परीक्षण कर रही थी। यह ड्रोन अत्याधुनिक तकनीक से लैस था और इसका उद्देश्य निगरानी और डेटा संग्रह जैसे कार्यों के लिए उपयोग करना था। हालांकि, टेस्टिंग के दौरान ड्रोन अनियंत्रित हो गया और सीधे संसद भवन के परिसर में जा गिरा। इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया।
गिरफ्तारी की वजह
सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ड्रोन की टेस्टिंग के लिए उचित अनुमति नहीं ली गई थी और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा, ड्रोन के संसद भवन जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पहुंचने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने की आशंका जताई गई। इस वजह से प्रोफेसर और उनकी चार सदस्यीय टीम को गिरफ्तार कर लिया गया।
अधिकारियों का बयान
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है, खासकर तब जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या यह घटना महज एक तकनीकी चूक थी या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश थी। ड्रोन के डेटा और उसकी प्रोग्रामिंग की भी गहन जांच की जा रही है।
पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया
पड़ोसी देश की सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और इसे अपनी सुरक्षा व्यवस्था में चूक के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग और टेस्टिंग के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने की बात कही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
भारत की नजर
चूंकि यह घटना भारत के पड़ोसी देश नेपाल में हुई और ड्रोन संसद भवन जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर गिरा, भारत भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अपने स्तर पर इस घटना के प्रभावों का आकलन कर रही हैं, क्योंकि सीमा पार से ड्रोन के जरिए होने वाली गतिविधियां पहले भी चिंता का विषय रही हैं।
प्रोफेसर समेत अन्य से पूछताछ जारी
गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर और उनकी टीम से पूछताछ जारी है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या यह घटना जानबूझकर की गई थी या यह तकनीकी खराबी का नतीजा थी। साथ ही, ड्रोन के डिजाइन और इसके निर्माण में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।