साल 2001 से चल रहा है गृहयुद्ध
म्यांमार में साल 2021 से गृहयुद्ध चल रहा है। फरवरी में आंग सान सू (aung san suu) की सरकार की तख्तापलट के बाद मिलिट्री जुंटा वहां सत्ता पर काबिज है। सेना ने नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका और आंग सान सू की सरकार के नेताओं को हिरासत में ले लिया। इससे पूरे म्यांमार में अशांति फैल गई। सेना ने NLD की जीत को धोखाधड़ी बताया था। सेना के तख्तापलट के बाद म्यांमार में पहले शांतिपूर्ण विरोध शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही समय बाद विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। सेना ने विरोध प्रदर्शन के दमन के लिए कड़ी कार्रवाई की। इसने प्रतिरोध को जन्म दे दिया। फिर नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट और उसकी पीपल्स डिफेंस फोर्स के साथ कई जातीय सशस्त्र संगठन लामबंद हो गए। आज देश के कई इलाकों में विद्रोही गुटों का कब्जा है। वहीं, गृहयुद्ध के कारण म्यांमार में भारी मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है। गृहयुद्ध में अब तक 75 हजार लोग मारे गए हैं। 17.6 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है।
सेना पर गंभीर आरोप
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना पर गांवों को जलाने, हवाई हमले करने और युद्ध अपराधों का आरोप है। वहीं, म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय को भी प्रताड़ना झेलनी पड़ी है। म्यांमार में गृहयुद्ध से अर्थव्यवस्था 18% कम हो गई, जिससे भुखमरी और गरीबी बढ़ी है।
ब्रिटिश काल में भारत का हिस्सा था म्यांमार
ब्रिटिश औपनिवेशनिक काल में साल 1937 तक बर्मा (आज का म्यांमार) भारत का हिस्सा था। फिर उसे 1935 के अधिनियम के तहत अलग कर दिया गया। 4 जनवरी 1948 को बर्मा को ब्रिटिश राज से आजादी मिली। साल 1962 तक बर्मा में लोकतांत्रिक सरकारें शासन करती रहीं। फिर 2 मार्च, 1962 को जनरल ने विन के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर सत्ता कब्जा ली। यह कब्जा 2011 तक चला। साल 1988 तक म्यांमार में वन पार्टी सिस्टम था। सेना के जनरल बारी-बारी से सत्ता प्रमुख बनते रहे।