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Israel-Iran War: ईरान और इज़राइल में क्यों छिड़ी जंग, ट्रंप और मैक्रो कैसे हुए बेनकाब, जानिए अंदर की बात

ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे युद्ध से वैश्विक नेताओं की दोहरी नीति उजागर हो गई है, जहां ट्रंप और मैक्रों जैसे नेता अपने पुराने बयानों से पलट गए हैं। इस विषय पर पेश है एम आई जाहिर की स्पेशल रिपोर्ट:

भारतJun 15, 2025 / 04:49 pm

M I Zahir

US-Iran Conflict

US-Iran Conflict

Israel-Iran War: ईरान और इजराइल के बीच जंग (Israel Iran War 2025) शुरू होने से दुनिया के ग्लोबल नेताओं की दोहरी चाल का पर्दाफाश हो गया है। ईरान के इजराइल पर हमला करने के एक झटके में ही डोनाल्ड ट्रंप की भाषा और टोन (Trump reaction to Israel Iran conflict) बदल गई, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो (Macron Israel Iran diplomacy)भी यू टर्न में माहिर निकले। इजराइल ने ईरान पर ईरान ने इजराइल पर हमला कर अगर किसी को एक्सपोज किया है तो नेतन्याहू के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो भी बेनकाब हुए हैं। ईरान के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनने से सबसे ज्यादा समस्या तो अमेरिका को हो रही थी और ट्रंप के बयानों से भी साफ लग रहा था।अब यह बात जाहिर हो गई है कि इजराइल के माध्यम से अमेरिका का मकसद पूरा हो रहा है। ईरान ने कुछ ही घंटों में इजराइल के हमले का जवाब दे कर सारी गलतफहमियां दूर कर दीं।

ईरान के हमले से ट्रंप की उम्मीदें धूमिल हो गईं

ट्रंप को लगा था कि धमकी देने से ईरान कदम खींच लेगा, वह अपने परमाणु ठिकाने पर हमले को सहन कर जाएगा और सेना के चोटी के कमाण्डरों और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या पर चुप्पी साध लेगा,लेकिन सबकुछ इसके उलट हुआ। ग्लोबल नेताओं की कूटनीतिक चालाकी देखिए कि इजराइल कैसे युद्ध को आत्मरक्षा का नाम देकर 2 साल से हमला किए जा रहा है। ईरान ने इजराइल का रक्षा कवच इस बार भी भेद दिया। अपने चोटी के कमाण्डरों की हत्या के बाद उसके पास इस युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था ?

मैक्रो ने 12 बार कहा,इजराइल को फ्री हैंड न मिले, अब आत्मरक्षा कह रहे

कुछ तथ्यात्मक मिसालों से ट्रंप और मैक्रो के बारे में यह बात पुख्ता होती है, मसलन 30 मई को सिंगापुर में शांगरी-ला वार्ता में फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा ​था कि अगर हम यह मान लें कि इजराइल को मनमानी करते हुए कुछ भी करने का अधिकार है तो बाकी दुनिया के सामने हमारी कोई साख नहीं रह जाएगी। मैक्रो ने कहा था कि दुनिया में अलग-अलग जगहों पर मैं देख रहा हूं कि लोगों को लगने लगा है कि अमेरिका और यूरोप इजराइल को एक तरह से फ्री पास दे रहे हैं। यानि हम कुछ भी करने की छूट देते हैं। इस भाषण में मैक्रो ने 12 बार कहा कि पश्चिम को अपने दोहरेपन से बाहर आना चाहिए। लेकिन मजेदार बात देखिए कि जैसे ही इजराइल ने ईरान पर हमला किया, मैक्रो अपनी यह बात भूल गए और यू टर्न लेते हुए इजराइल की आत्मरक्षा की बात करने लगे। अब वे अपने बदले हुए रुख के साथ बयान दे रहे हैं।

फ्रांस ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की बार-बार निंदा की है

गौरतलब है कि फ्रांस ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की बार-बार निंदा की है और इस दिशा में सारे कूटनीतिक कदम भी उठाए गए हैं। इस संबंध में फ्रांस इजराइल की आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खड़ा हुआ है। वे कह रहे हैं, क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा न पहुंचे इसलिए मैं सभी पक्षों से संयम की अपील करता हूं और टकराव कम करने की बात करता हूं। हम मानते हैं कि युद्ध विराम होना चाहिए।

डोनाल्ड ट्रंप को हमले की तारीख पहले से पता थी,तब नाटक क्यों ?

अब आइए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात करते हैं। अमेरिका ने पहले कहा था, इजराइल ने एक तरफ़ा फैसला करते हुए ईरान पर हमला कर दिया। फ्रांस ने 30 मई को कहा, इजराइल को फ्री पास नहीं दे सकते, लेकिन जब इसराइल ने फ्री पास लेते हुए ईरान पर हमला किया तब फ्रांस ही पलट गया। अमेरिका मुकरने का नाटक करने लगा। अब तो इस नाटक से भी पर्दा उठ गया है। अमेरिका का एक अखबार है न्यूयॉर्क पोस्ट की हेडलाइन देखिए। ट्रंप ने इस अखबार से कहा है, मुझे पता था कि अगर ईरान जल्द ही इस डील के लिए नहीं माना तो इजराइल हमला कर देगा। मुझे तारीख पता थी क्योंकि मुझे सब कुछ पता होता है। मैंने उन्हें 60 दिन दिए। आज 61वां दिन है।

नेतन्याहू ने भी कहा है कि अमेरिका को हमले की पहले ही जानकारी दे दी थी

इजराइल के ईरान पर हमले के बाद नेतन्याहू ने भी यह राज खोल दिया है कि अमेरिका को पहले ही हमले की जानकारी दे दी गई थी। तो क्या ट्रंप को पता था कि अमेरिका ईरान के जिन प्रतिनिधियों से डील की बात कर रहा है उनकी हत्या की जाने वाली है? जब तारीख का पता था तब सारा प्लान भी पता होगा। इस इंटरव्यू में ट्रंप ने दावा किया है कि उन्हें सब पता था। क्या ट्रंप को यह भी पता था कि इजराइल उनकी ही डील पर पानी फेरने वाला है और वे देखते रहेंगे।

वार्ता के नाम पर डील के चेहरे सामने ला कर उन्हें मरवाया गया

सुलगता सवाल यह है कि ट्रंप ने डील के नाम पर पांच दौर की बातचीत क्यों की? ट्रंप ने फिर क्यों अपने बयान में कहा कि डील में शामिल सारे कट्टरपंथी मार दिए गए हैं। इसकी भी परवाह नहीं की कि दुनिया उनके ही इस बयान को दोबारा पढ़ सकती है। जिसमें वे कह रहे हैं कि ईरान के कुछ कट्टरपंथियों ने बहादुरी से बोला, लेकिन उन्हें नहीं पता था क्या कि होने वाला है। वे सभी अब मारे जा चुके हैं और यह स्थिति आगे और बिगड़ने वाली है।

ट्रंप के बयान दोधारी तलवार की तरह

ट्रंप ऐसा बयान देते हैं कि उन पर यकीन करना मुश्किल होता है, तभी यह कहें तो अतिश्योक्ति न होगी कि उनके बयान दोधारी तलवार की तरह हैं। वे इजराइल के हमले की निंदा नहीं करते और विनाश और मृत्यु की बात करते हैं और इजराइल हमला न करे, इसकी जिम्मेदारी भी ईरान पर डाल देते हैं। यानि वे इजराइल रोक को नहीं सकते। उनके लिए जंग एक खेल है, इसमें खेल यह है कि उसे कोई चांस नहीं दिया जा रहा। बस ईरान पर हमला हो रहा है। ईरान को दबंगई के साथ डील करने का चांस दिया जा रहा है।

ट्रंप ने कहा, ईरान पर इजराइल का हमला एक्सीलेंट था!

ट्रंप के बयान और रुख की एक और मिसाल देखें। अमेरिका के एबीसी चैनल से राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान पर इजराइल का हमला एक्सीलेंट था। खुद को ग्लोबल लीडर के रूप में पेश करने वाला एक नेता जब इजराइल और ईरान के बीच परमाणु डील की बात करवा रहा हो,जिसे हमले की तारीख भी पहले से पता हो, वह इजराइल के ईरान पर हमला करने के बाद कहे, हमला एक्सीलेंट था! तो यह कुटिल चाल ही कही जाएगी। ऐसे तो आगे बहुत से हमले होने वाले हैं। अब सवाल यह पैदा होता है कि कोई हमला एक्सीलेंट कैसे हो सकता है? साफ है कि निष्पक्षता का दिखावा करते हुए वह अमेरिका इजराइल के साथ है। वो इजराइल के हमले की निंदा नहीं कर रहा है, इसके उलट ह​थियार दे कर हमले को एक्सीलेंट बता रहा है।

जब ईरान परमाणु डील के लिए तैयार था तो हमला क्यों किया ?

ईरान परमाणु डील के लिए तैयार था। फिर ट्रंप ने अपने बयान में क्यों कहा? डील का विरोध करने वाले सारे कट्टरपंथी मारे गए। ट्रंप ने, जिस टीम के साथ डील हो रही थी, उसके मारे जाने की निंदा भी नहीं की । अमेरिका के बड़ा न्यूज़ चैनल एनबीसी से ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनई के सलाहकार अली शमखानी ने दो हफ्ता पहले कहा था कि ईरान अमेरिका से डील चाहता है। यह भी कहा कि अमेरिका के साथ बेहतर रिश्ते बना सकते हैं। इस इंटरव्यू में शमखानी ने कहा था कि अगर ईरान से आर्थिक प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं तो ईरान कभी परमाणु बम नहीं बनाएगा। अपनी यूरेनियम स्टॉक पाइल कम कर देगा और सिर्फ नागरिकों के लिए इस्तेमाल किया जा सके, उस स्तर तक ही परमाणु यंत्र तैयार करेगा।

क्या ईरान आज ही दस्तखत कर देगा ? शमखानी ने कहा था, हां कर देगा

उन्होंने यह भी कहा था कि अपने प्रोग्राम के निरीक्षण के लिए जांचकर्ताओं को आने देगा। जब एनबीसी ने उनसे पूछा कि अगर यह शर्तें आज मान ली गईं तो क्या ईरान आज ही डील पर दस्तखत कर देगा? इस पर शमखानी ने कहा था हां कर देगा। ईरान में परमाणु डील पर बयान देने के लिए बहुत कम लोग अधिकृत थे, अली शमखानी उनमें से एक थे। उसके बावजूद 13 जून के हमले में उनकी हत्या कर दी गई।

मुझे पता था, ईरान डील के लिए राजी नहीं हुआ तो हमला होगा: ट्रंप

ट्रंप ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, “मुझे पता था अगर ईरान जल्दी डील के लिए राजी नहीं हुआ तो हमला होगा।” छठे दौर की बहस से दो दिन पहले हमला होता है। जो परमाणु संधि होने वाली थी या हो सकती थी, उसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम सीमित करने का प्रस्ताव शामिल था। ईरान अपनी तरफ से इस बात पर सहमत दिखने लगा था कि हम परमाणु हथियार नहीं बनाएंगे, लेकिन परमाणु शक्तियों का इस्तेमाल नागरिक सुविधाओं के लिए करेंगे। इजराइल ने हमला करके एक तरह से फिर से ईरान को बातचीत की मेज से पीछे धकेल दिया।

तब कौन है जो यह दोहरा खेल खेल रहा है?

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने कहा कि इसी दोहरेपन के कारण पश्चिम के देशों की साख नहीं रह जाएगी। ट्रंप के जंग के लिए प्रेरक बयानों से साफ है कि इजराइल ईरान पर हमला करे। हमला करने के पहले बताए ना बताए, अमेरिका के लिए कोई मायने नहीं रखता। वह इजराइल के साथ ही रहेगा। इजराइल को हथियार कौन दे रहा है? इसका जवाब सारी दुनिया को मालूम है।

इजराइल का हमला एक्ट ऑफ वॉर : ईरान

ईरान ने कहा कि इजराइल का हमला एक्ट ऑफ वॉर है। 13 जून की देर रात ईरान ने करीब 100 बैलस्टिक मिसाइल से हमला कर दिया और इसराइल के आयरन डोम ढांचा भेज दिया। ईरान ने अपने जवाबी हमले में इजराइल के साथ वही किया, जो इजराइल ने ईरान के साथ किया। ईरान ने तेल अवीव में जिस इमारत के पास हमला किया उसे अमेरिका के पेंटागन के बराबर माना जाता है। यानि यह इजराइल का सैन्य हेड क्वार्टर है।

एक ही रात में इतने सारे महत्वपूर्ण लोगों की हत्या कभी नहीं हुई

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बात की पुष्टि की है कि ईरान के हमले ने इजराइल की सेना से जुड़े इस महत्वपूर्ण ठिकाने के पास हमला किया है। हमले में जो इमारत देखी जा सकती है वो तेल अवीव शहर की किरिया इलाके का मार्गनिट टावर है। यह इजराइल डिफेंस फोर्सेस के हेड क्वार्टर के काफी करीब है। एक ही रात में इतने सारे महत्वपूर्ण लोगों की हत्या कभी नहीं हुई।इससे पता चलता है कि कम से कम एक ईरानी मिसाइल इजराइल की सेना के संवेदनशील ठिकाने के पास गिरी है। यरूशलम में भी सायरन बजे जिसका मतलब था रॉकेट से हमला होने वाला है।

इजराइल ने पहले भी ईरान पर हमले किए हैं

इजराइल ने पहले भी ईरान के सैन्य अधिकारियों, परमाणु वैज्ञानिकों, रणनीतिकारों और राजनेताओं पर हमले किए हैं। उनकी हत्याएं की हैं। मगर इस तरह से एक ही रात में इतने सारे महत्वपूर्ण लोगों की हत्या कभी नहीं हुई। 13 जून की शाम तक यही कहा जा रहा था। ईरान को इस हमले का जवाब देने में काफी समय लग सकता है। क्योंकि ईरान के सभी वरिष्ठ अधिकारी मारे जा चुके हैं, मगर ईरान ने तुरंत ही जवाब दे दिया।

ईरान की सेना पूरी ताकत के साथ लड़ेगी : ईरान

ईरान के सुप्रीम कमांडर अयातुल्ला खामेनई ने कहा है कि ईरान की सेना पूरी ताकत से लड़ेगी और इजराइल को घुटने पर ला देगी। ईरान की जनता को आश्वासन दिया है कि इस मामले में कोई चूक नहीं होगी। इजराइल को उसके अपराध की सजा दी जाएगी। आज दुनिया में कोई नेता इजराइल के खिलाफ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

परमाणु वार्ता हो रही थी तो इजराइल को इंतजार करना चाहिए था

जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता हो रही थी तो इजराइल को इंतजार करना चाहिए था। डील में शामिल लोगों को नहीं मारना चाहिए था। मगर ट्रंप की भाषा बदल गई है। अब सब मर गए हैं। कह रहे हैं तो अब आपके पास दूसरा मौका आया है। एक तरह से ट्रंप धमकी दे रहे हैं कि इससे पहले कि सब बर्बाद हो जाए। क्या इस तरह से ट्रंप ईरान से बातचीत करना चाहते हैं या करना ही नहीं चाहते।

ईरान को छठे दौर की वार्ता से पहले हमला करने का अनुमान नहीं था

न्यूयॉर्क टाइम्स में पत्रकार फरनाज़ फासीही की एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान के वरिष्ठ अधिकारी और नेता एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से तैयारी कर रहे थे कि अगर अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत फेल हो गई तो इजराइल हमला करेगा, मगर उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बातचीत के छठे दौर से पहले ही इजराइल हमला कर देगा।

ईरान की सेना के वरिष्ठ अधिकारी सुरक्षित ठिकानों पर नहीं पहुंचे थे

सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि ईरान के सुरक्षा विभाग ने ऐसी खबरों को इजराइल का प्रोपेगेंडा मानकर खारिज कर दिया कि परमाणु डील के लिए दबाव बनाने के इरादे से ईरान पर हमला किया जा सकता है। इसी लापरवाही के कारण जो सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। अहम बात यह है कि सेना के वरिष्ठ अधिकारी सुरक्षित ठिकानों पर नहीं थे। वे अपने घरों में ही थे। वायुसेना के अध्यक्ष और उनके सीनियर स्टाफ ने एक जगह इकट्ठा न होने के सुरक्षा नोटिस की उपेक्षा करते हुए तेहरान में एक सैन्य बेस पर मीटिंग की और इजराइल के हमले में मारे गए।

इजराइल के खिलाफ एक आक्रामक और सटीक जवाबी हमला

ईरान के इस्लामिक रिवोल्युशनरी गार्ड कोर ने कहा है कि इजराइल के बर्बर शासन के हमले में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों, नागरिकों और निहत्थे बच्चों की मौत हो गई। उस हमले के जवाब में हमने इजराइल के खिलाफ एक आक्रामक और सटीक जवाबी हमला किया गया है। ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस थ्री के तहत दर्जनों ठिकानों पर हमले किए गए। इनमें सैन्य ठिकाने और एयरबेस भी शामिल रहे। उधर इजराइल के हमले का नाम ऑपरेशन लायन रखा गया है।

दुनिया की सारी शक्तियां इजराइल के साथ (Global response to Israel Iran war)

बहरहाल इजराइल के साथ दुनिया की सारी शक्तियां खड़ी हुई दिखाई दे रही हैं। खुद ट्रंप ने कहा है कि दुनिया में सबसे खतरनाक हथियार अमेरिका बनाता है और इजराइल के पास उसके बहुत सारे हथियार हैं। इजराइल ये हथियार चलाना भी जानता है। ईरान भी यही कहता है कि इजराइल अपने दम पर नहीं, बल्कि अमेरिका के दम पर खड़ा हुआ है। यह बात सभी मानते हैं कि ईरान इजराइल की बराबरी नहीं कर सकता, लेकिन 13 जून की रात ईरान इजराइल पर भारी पड़ती हुई नजर आई, मगर अपना वजूद मिट जाने के खतरे के बीच ईरान ने जिस तरह से इजराइल पर हमला किया है, वह उसके फौलादी हौसले की मिसाल है।

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