scriptशेख हसीना पर लाइव ट्रायल: क्या चुनाव से पहले सरकार से दूर रखने और मतदाताओं को भटकाने की साजिश है ? | Is the live trial of the case against Sheikh Hasina a conspiracy to keep her away from the government before the elections and mislead the voters? | Patrika News
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शेख हसीना पर लाइव ट्रायल: क्या चुनाव से पहले सरकार से दूर रखने और मतदाताओं को भटकाने की साजिश है ?

Sheikh Hasina war crimes tribunal 2025: बांग्लादेश में चुनावी माहौल के बीच यूनुस सरकार की ओर से शेख हसीना पर ICT ट्रायल का लाइव प्रसारण कराने का फैसला राजनीतिक चाल माना जा रहा है।

भारतJun 01, 2025 / 07:36 pm

M I Zahir

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ कोर्ट में लाइव ट्रायल हुआ है। (फोटो: ANI)

Sheikh Hasina war crimes tribunal 2025: बांग्लादेश की राजनीति में जबरदस्त उथल-पुथल मच गई है। शेख हसीना (Sheikh Hasina news) पर गंभीर केस के कारण बांग्लादेश ही नहीं पूरी दुनिया की इस मामले पर निगाहें जमी हुई हैं । इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में पहले ही गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। यह कदम जुलाई-अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के दौरान कथित नरसंहार और न्यायेतर हत्याओं के आधार पर उठाया गया है। अभियोजन पक्ष ने लाइव ट्रायल के दौरान (live trial in court) वीडियो और एन्क्रिप्टेड साक्ष्यों का हवाला दिया है, जिसमें सुरक्षा बलों की की ओर से की गई हत्याओं और अपहरणों को दर्शाया गया है। बांग्लादेश सरकार ने इंटरपोल के माध्यम से शेख हसीना और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि भारत के साथ कैदी विनिमय समझौते के तहत हसीना को वापस लाने की संभावना है। इधर शेख हसीना मामले में यूनुस सरकार (Yunus Government) की भूमिका और नीयत संदेह के घेरे में है।

अपराध, हत्या और नरसंहार जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा

ध्यान रहे कि हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध, हत्या और नरसंहार जैसे गंभीर आरोपों में ढाका के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) में पहले से मुकदमा चल रहा है। यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और कूटनीतिक स्तर पर बांग्लादेश और दक्षिण एशिया की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।

पासपोर्ट रद्द और प्रत्यर्पण की मांग

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया है और भारत से उनकी प्रत्यर्पण की अपील की है। अंतरिम सरकार के सलाहकार जहांगीर आलम ने विदेश मंत्रालय को एक डिप्लोमेटिक नोट भेजकर हसीना को बांग्लादेश वापस भेजने की मांग की है, ताकि उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सके।

शेख हसीना पर क्या हैं आरोप ?

जुलाई-अगस्त 2024 में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन और आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान1400 से अधिक लोगों की मौत,हजारों घायल होने और सैकड़ों लोगों के हिरासत में उत्पीड़न, इन सबकी ज़िम्मेदारी तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना पर डाली गई। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों ने इस हिंसा को “प्रणालीगत और योजनाबद्ध नरसंहार” करार दिया।

पिछले साल कैसे बचीं शेख हसीना ?

इन घटनाओं के बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को भारत में राजनीतिक शरण ले ली। तब से वह नई दिल्ली में सुरक्षित स्थान पर हैं और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से उनके प्रत्यर्पण की आधिकारिक मांग कर रखी है।

कानूनी प्रक्रिया और कोर्ट की कार्रवाई

ICT बांग्लादेश ने हसीना और उनके करीबियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। उनकी संपत्तियां और बैंक खाते जब्त कर लिए गए हैं। इससे पहले बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत से सीधा हस्तक्षेप और हसीना की गिरफ्तारी की मांग की है। सूत्रों से पता चला है कि अगर दोष सिद्ध हुआ तो शेख हसीना को मृत्युदंड या आजीवन कारावास हो सकता है।

इस केस पर सुगलते सवाल

भारत प्रत्यर्पण को लेकर क्या रुख अपनाता है ?

बांग्लादेश में अगली राजनीतिक सत्ता किसके हाथ जाएगी ?

क्या हसीना के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय समर्थन उठेगा ?

रिएक्शन : बांग्लादेश में बंटा समाज, भारत में चुप्पी

बांग्लादेश में शेख हसीना के ट्रायल को लेकर जनता और राजनीतिक दलों में गहरा विभाजन है:

बीएनपी (Bangladesh Nationalist Party) के प्रवक्ता ने कहा: “यह न्याय का समय है। सत्ता में रहते हुए हसीना ने लोकतंत्र का गला घोंटा था।”
हसीना समर्थक छात्र संगठन “छात्र लीग” ने बयान जारी कर कहा: “यह एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई है, हसीना को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।”

भारत के लिए मुश्किल स्थिति

भारत में सरकारी स्तर पर सन्नाटा है,लेकिन पूर्व राजनयिक कंवल सिब्बल ने कहा: “भारत के लिए मुश्किल स्थिति है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान जरूरी है।”

अब भारत की नीति क्या होगी ?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। यदि भारत ऐसा करता है, तो वह बांग्लादेश की वर्तमान सत्ता के साथ खड़ा दिखेगा और यदि नहीं करता, तो भारत पर “आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप” का आरोप लग सकता है।

क्या हसीना के बिना बांग्लादेश स्थिर रह पाएगा ?

शेख हसीना ने 15 वर्षों तक बांग्लादेश की सत्ता पर पकड़ बनाए रखी। उनकी अनुपस्थिति में अवामी लीग नेतृत्व संकट का सामना कर रही है। कट्टरपंथी समूहों की नयी सक्रियता दिख रही है। अल्पसंख्यकों में भय का माहौल बढ़ गया है।

चुनाव से पहले सरकार से दूर रखने, मतदाताओं को भटकाने की साजिश ?

बहरहाल यूनुस ने चुनाव की समय सीमा की घोषणा करने और जमाते इस्लामी के प्रति नरम रख का परिचय देने के बाद शेख हसीना पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) की लाइव ट्रायल करवाने का निर्णय किया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कहीं यह शेख हसीना को चुनाव से पहले सरकार से दूर रखने और मतदाताओं को भटकाने की साजिश तो नहीं है?

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