शांति के पुजारी गांधी को श्रद्धांजलि, आतंक के खिलाफ एकजुटता
प्रतिनिधिमंडल ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर शांति और अहिंसा के भारतीय आदर्शों को वैश्विक संदर्भ में फिर से रेखांकित किया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से संवाद किया और यह संदेश दिया कि भारत आज सिर्फ आतंकी घटनाओं की निंदा नहीं करता, बल्कि उनके स्रोतों को पहचानकर सख्त जवाब देता है।
शून्य सहनशीलता की नीति: विदेश मंत्रालय की स्पष्ट घोषणा
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह प्रतिनिधिमंडल किसी सांकेतिक दौरे पर नहीं, बल्कि भारत की नीति का संदेश देने आया है—”Zero Tolerance Against Terrorism”। एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने बताया कि यह मिशन सिर्फ राजनयिक नहीं, बल्कि रणनीतिक है।
प्रतिनिधिमंडल की ताकत: राजनीति से ऊपर राष्ट्र
इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के गंगा जमनी प्रतिनिधि शामिल हैं, जो दिखाता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पूरी तरह एकजुट है: बैजयंत पांडा (भाजपा) – प्रतिनिधिमंडल के नेता, निशिकांत दुबे (भाजपा), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM),गुलाम नबी आज़ाद (डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी), फांगनोन कोन्याक (भाजपा) रेखा शर्मा (एनजेपी), सतनाम सिंह संधू औरवरिष्ठ राजनयिक हर्ष श्रृंगला। इन नेताओं की मौजूदगी बताती है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी पार्टी विशेष की नहीं, बल्कि राष्ट्र की नीति के साथ खड़ा हुआ है।
प्रतिनिधिमंडल का बहरीन से आगे कूटनीतिक कदम
प्रतिनिधिमंडल बहरीन के बाद कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया की भी यात्रा करेगा। वहां स्थानीय नेतृत्व से संवाद होगा और भारत की ओर से यह संदेश दोहराया जाएगा कि सीमापार आतंकवाद, आतंकी फंडिंग और गलत सूचनाओं के खिलाफ भारत अब और चुप नहीं रहेगा।
भारत आतंक को पनाह देने वालों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करेगा
बहरहाल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर ने यह बात साफ कर दी है कि भारत अब न केवल अपने नागरिकों की रक्षा करेगा, बल्कि आतंक को पनाह देने वालों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल उसी रणनीति का हिस्सा है -भारत अब सिर्फ अपने नागरिकों से नहीं, दुनिया से भी कह रहा है: “हम चुप नहीं रहेंगे।”