भारत की क्वाड में भागीदारी: व्यापार बनाम सैन्य उद्देश्य (Quad military alliance)
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का दावा है कि भारत की क्वाड (Quad) में भागीदारी मुख्य रूप से आर्थिक और शांतिपूर्ण सहयोग के इरादे से है। वहीं, अन्य क्वाड सदस्य (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) नौसैनिक और सैन्य अभ्यास को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, जो समूह के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इसे अर्ध-सैन्य गठबंधन में बदलने की ओर संकेत करता है। उन्होंने भारत की “उकसावे को पहचानने” की क्षमता पर विश्वास जताया, यह दर्शाते हुए कि रूस भारत को एक स्वतंत्र और विवेकशील साझेदार मानता है।
भारत-चीन संबंध (India-China border update) और आरआईसी (RIC trilateral revival)
लावरोव ने यह भी संकेत दिया कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में कुछ हद तक शांति स्थापित हो रही है। यह समय रूस-भारत-चीन (RIC) तंत्र को पुनर्जीवित करने का है, जो पिछले कुछ वर्षों से निष्क्रिय-सा हो गया था।
भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ
भारत को एक “संतुलनकारी कूटनीति” (balancing diplomacy) अपनानी पड़ रही है: एक ओर, अमेरिका और क्वाड के साथ तकनीकी और आर्थिक सहयोग। दूसरी ओर, रूस और चीन जैसे पुराने साझेदारों के साथ रणनीतिक संवाद और स्वतंत्र नीति बनाए रखना।
भारत की कूटनीतिक चुनौती
भारत को एक संतुलित कूटनीति अपनानी होगी, जिसमें वह क्वाड के आर्थिक सहयोग को बनाए रखे, जबकिरूस और चीन के साथ पुराने रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करे। यह संतुलन भारत की वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है।
भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता
भारत ने हमेशा अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी है। लावरोव के बयान से यह स्पष्ट होता है कि रूस भारत की इस स्वतंत्रता का सम्मान करता है और उसे किसी भी सैन्य गठबंधन में शामिल करने के प्रयासों का विरोध करता है।
फॉलो-अप: आगामी कूटनीतिक बैठकें
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव जून 2025 में भारत का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। इस यात्रा के दौरान, वे भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए महत्वपूर्ण वार्ताओं का हिस्सा बनेंगे।
साइड एंगल: रूस-भारत-चीन (RIC) तंत्र का पुनरुद्धार
लावरोव ने RIC तंत्र को एक संतुलित और निष्पक्ष मंच के रूप में प्रस्तुत किया है, जो पश्चिमी सैन्य गठबंधन नाटो के प्रभाव को संतुलित कर सकता है। यह मंच भारत, रूस और चीन के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा दे सकता है।
भारत, क्वाड और एशिया-प्रशांत
बहरहाल भारत ने अब तक क्वाड को “गैर-सैन्य” मंच के रूप में चित्रित किया है, जिसका जोर समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, स्वास्थ्य सहयोग और टेक्नोलॉजी पर है। लावरोव की टिप्पणी रूस की उस चिंता को दर्शाती है कि क्वाड धीरे-धीरे एशिया-प्रशांत में नाटो जैसी सैन्य उपस्थिति का रूप न ले ले।