2010 में मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला
एबीएम खैरुल हक ने 2010 में बांग्लादेश के 19वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। 67 वर्ष की अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु के बाद वे पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए। इसके अलावा, 2013 में उन्हें लॉ कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था, और इस पद पर उनकी नियुक्ति कई बार नवीनीकृत की गई।
एडवोकेट ने लगाया आरोप
इस वर्ष अप्रैल में, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समर्थक वकीलों के मंच, बांग्लादेश जातीयताबादी ऐनजीबी फोरम (BJAF) ने खैरुल हक की गिरफ्तारी और मुकदमे की मांग की थी। बीजेएएफ के अध्यक्ष एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने आरोप लगाया कि खैरुल हक ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में न्यायपालिका और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई।
जैनुल ने किया दावा
एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने दावा किया कि शेख हसीना ने न्यायपालिका के समर्थन से एक “फासीवादी शासन” स्थापित किया था, और अगर न्यायपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाती, तो लोकतंत्र का पतन नहीं होता।
खैरुल पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग
आबेदीन ने खैरुल हक को न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक शासन के पतन का मुख्य जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “इतनी बड़ी तबाही के केंद्र में रहने के बावजूद, न तो उनकी गिरफ्तारी हुई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई हुई।” उन्होंने जोर देकर कहा कि खैरुल हक को जवाबदेह ठहराना बांग्लादेश की जनता की प्रमुख मांग है।
गिरफ्तारी की चर्चा तेज
सोशल मीडिया और स्थानीय समाचारों में इस गिरफ्तारी को लेकर चर्चा तेज है, जहां इसे कुछ लोग न्यायिक जवाबदेही की दिशा में कदम मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रहे हैं।