क्या कहता है अमरीकी संविधान?
अमरीकी संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति सहित कोई भी संघीय अधिकारी कांग्रेस की अनुमति के बिना किसी विदेशी सरकार से उपहार, पारिश्रमिक, पद या उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता। ‘इमोल्यूमेंट्स क्लॉज’ नामक प्रावधान विदेशी प्रभाव और भ्रष्टाचार से सुरक्षा के लिए बनाया गया था। यह प्रावधान संघीय अधिकारियों को 480 डॉलर से अधिक के विदेशी उपहारों को व्यक्तिगत रूप से रखने से रोकता है।
क्या पहले कांग्रेस दे चुकी है मंजूरी?
अमरीकी इतिहास की बात करें तो पहले भी इस तरह के उपहार को मंजूरी दी जा चुकी है। साल 1877 में अमरीकी कांग्रेस ने फ्रांस से मिलने वाले ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ को स्वीकार किया था। ट्रंप को कतर से मिलने वाले उपहार को लेकर राज्य सरकारें और यहां तक कि कुछ निजी व्यवसाय मुकदमा चला सकते हैं। ऐसे में ट्रंप को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अमरीका में ट्रंप के पहले कार्यकाल से पहले इस तरह के कोई खास मुकदमे देखने को नहीं मिले थे, लेकिन साल 2017 में उन पर इस तरह का एक मुकदमा दायर किया गया था। हालांकि वह खारिज हो गया था।
भारत में क्या हैं नियम?
भारत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे शीर्ष पदों पर आसीन व्यक्तियों को जो महंगे उपहार मिलते हैं। उनके लिए विशेष नियम हैं। इनको जो उपहार मिलते हैं वे दौरे से लौटने के 30 दिन के अंदर तोशाखाना में जमा किए जाते हैं। अधिकारी उपहार के मूल्य का आकलन करते हैं। उपहार की कीमत 5,000 रुपए से कम है तो उसे अपने पास रखा जा सकता है। यदि यह सीमा पार हो जाती है, तो प्राप्तकर्ता को उपहार को सरकार को सौंपना होता है? या वह सीमा और उपहार के मूल्यांकन मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान कर सकता है। कीमती उपहार आमतौर पर सरकारी संग्रहालयों, प्रदर्शनियों या कार्यालयों की शोभा बढ़ाने के लिए काम में ली जाती हैं। कुछ उपहारों की नीलामी भी की जाती है।