सामाजिक-आर्थिक न्याय को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका
गवई ने आगे कहा, “संविधान ने नागरिकों के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। संविधान ने हमें दृष्टि, साधन और नैतिक मार्गदर्शन दिया है। इसने हमें दिखाया है कि कानून वास्तव में सामाजिक परिवर्तन का साधन, सशक्तिकरण की ताकत और कमजोर लोगों का रक्षक हो सकता है।”
संविधान का प्रयास आम लोगों के जीवन में बदलाव लाना
गवई ने आगे कहा, “मार्टिन लूथर किंग जूनियर के उद्धरण ‘नैतिक ब्रह्मांड का चाप लंबा है, लेकिन यह न्याय की ओर झुकता है’ में बताया गया कि यह उस ओर तभी झुकता है जब हम इसे मोड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं। भारतीय संविधान ने आम लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया है। भारतीय संविधान अपनाए जाने के शुरुआती वर्षों में कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने भारतीय संविधान की विश्वसनीयता और दीर्घकालिक व्यवहार्यता के बारे में संदेह व्यक्त किया था। आइवर जेनिंग्स ने भारतीय संविधान को बहुत लंबा, बहुत कठोर, बहुत विस्तृत बताया था। पिछले 75 सालों के अनुभव ने जेनिंग्स को गलत साबित कर दिया है।”