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बलूचिस्तान से रातोंरात 8 लोग लापता, परिवार सदमे में, पाकिस्तानी सुरक्षा बल पर उठे सवाल

Balochistan Enforced Disappearances: बलूचिस्तान के तीन जिलों में पाकिस्तानी सेना की रातभर चली कार्रवाई के दौरान आठ नागरिकों को जबरन उठाए जाने की खबर सामने आई है।

भारतJun 02, 2025 / 02:17 pm

M I Zahir

Balochistan Enforced Disappearances

बलूचिस्तान में रातोंरात 8 लोग लापता हो गए। ( फोटो: ANI)

Balochistan Enforced Disappearances: पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की बलूचिस्तान में जबरदस्त दहशत है। सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान में एक बार फिर देर रात की कार्रवाई की, जिससे क्षेत्र में डर और आक्रोश की लहर दौड़ गई है। मस्तुंग, पंजगुर और केच जिलों में की गई छापेमारी के दौरान कम से कम आठ लोगों को जबरन अगवा (Balochistan enforced disappearances) किए जाने की खबरें सामने आई हैं। स्थानीय मीडिया “बलूचिस्तान पोस्ट” के अनुसार, मस्तुंग (Night raids in Mastung Panjgur Kech) जिले में एक ही रात में पांच लोगों को उनके घरों से उठाया (Pakistan military abductions)गया, जबकि तीन अन्य को पंजगुर और केच के विभिन्न इलाकों से उठाया (Missing persons in Balochistan) गया।

रात के अंधेरे में अजीब तरह का छापा, परिवारों में दहशत

जानकारी के अनुसार मस्तुंग की करेजसोर तहसील में तबलीगी जमात से जुड़े असीम फारूक, हाजी गुलाम फारूक के बेटे को रात करीब एक बजे घर से उठा लिया गया। वहीं खड्डकूचा तहसील से मुहम्मद वफ़ा, हाजी मुहम्मद अशरफ शाहवानी के बेटे को अगवा किया गया। किल्ली कुनगढ़ से खलील अहमद, हाजी मुहम्मद इब्राहीम शाहवानी का बेटा, रात 3 बजे गायब कर दिया गया। वह हाल ही में प्रचार मिशन से लौटे थे और टीबी का इलाज करवा रहे थे। उधर किल्ली अजीजाबाद में दो और छापों के दौरान औरंगजेब मुहम्मद शाही और लेवी कांस्टेबल गुलाम जान को भी अगवा कर लिया गया।

केच और पंजगुर भी नहीं बचे – सेना पर अपहरण का आरोप

केच जिले के दश्त क्षेत्र में मुराद खान और राशिद को सैन्य बलों ने हिरासत में लिया, जिनका अब तक कोई अता-पता नहीं है। पंजगुर के पारोम तहसील में शहजाद, नजीर के बेटे को अगवा कर लिया गया। उनके चचेरे भाई ने मीडिया को बताया कि कुछ दिन पहले जंगियन बलूच भी इसी तरह लापता हो गए थे।

मानवाधिकार संगठनों का विरोध(Human rights violations Pakistan)

बलूच यकजेहती समिति, पांक और बलूच महिला फोरम जैसे मानवाधिकार संगठनों ने इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने जबरन गायब किए जाने की इस “व्यवस्थित रणनीति” को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। स्थानीय समुदाय में दहशत और ग़ुस्सा चरम पर है। मस्तुंग, केच और पंजगुर जैसे शांत इलाकों में रात के अंधेरे में की गई सैन्य कार्रवाइयों ने फिर से जख्म हरे कर दिए हैं।

बहुत डरे हुए हैं लोग, हर गाड़ी की आवाज़ से डर लगता

पीड़ित परिवारों ने कहा कि, “हम न तो चैन की नींद सो सकते हैं, न दिन में राहत है। हर गाड़ी की आवाज़ से डर लगता है कि अगला नंबर हमारा तो नहीं।”

सोशल मीडिया पर मुहिम चल रही

बलूच कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठनों ने इसे राज्य प्रायोजित दमन की रणनीति बताया है। सोशल मीडिया पर हैशटैग #BalochLivesMatter और #StopEnforcedDisappearances ट्रेंड कर रहे हैं।

फॉलोअप: क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय उठाएगा कोई ठोस कदम ?

इन घटनाओं के बाद सवाल उठ रहे हैं
क्या संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार परिषद इस मुद्दे पर संज्ञान लेगी?

पाकिस्तान सरकार इस पर चुप क्यों है?

कब तक आम बलूच नागरिकों को निशाना बनाया जाता रहेगा?

मानवाधिकार वकील और कार्यकर्ता संयुक्त राष्ट्र में याचिका दाखिल करने की तैयारी में हैं।

साइड एंगल: महिलाएं और बच्चे भी मानसिक पीड़ा में

गायब हुए युवकों के परिवारों में माएं, बहनें और छोटे बच्चे अब मानसिक आघात की स्थिति में हैं। बलूच महिला फोरम की एक सदस्य ने कहा: “हमारे बेटे, भाई, पति चुपचाप रात में ले जाए जाते हैं और हम सिर्फ तस्वीरें उठा कर दर-दर भटकते रहते हैं।” इन अपहरणों ने ना सिर्फ सामाजिक ढांचा तोड़ा है, बल्कि बाल अधिकारों और महिला सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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