मॉस्को ने दी मीटिंग पर प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि पुतिन के साथ बातचीत अच्छी रही। इस पर रूस की प्रतिक्रिया भी आई है। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिए क्योंकि वे पहले ही विस्तृत बयान दे चुके थे। पेसकोव ने यह भी कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत उन्हें सीजफायर के विकल्प खोजने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
जंग को खत्म करना मुश्किल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पुतिन और जेलेंस्की दोनों चाहते हैं कि यूक्रेन में शांति के लिए होने वाली बातचीत में मैं शामिल रहूं। उमैं वहां रहूंगा। वह दोनों यही चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सोचा था कि रूस और यूक्रेन जंग खत्म कराना सबसे आसान होगा, लेकिन यह सबसे कठिन है।
कब-कब मिल चुके हैं ट्रंप और पुतिन
ट्रंप और पुतिन की पहली मुलाकात 7 जुलाई 2017 को जर्मनी के हमबर्ग में हुई। दोनों नेता G20 की मीटिंग में पहुंचे थे। दूसरी बार ट्रंप और पुतिन 10 नवंबर 2017 को वियतनाम में APEC (एशिया पेसेफिक इकोनॉमिक कॉरपोरेशन) की मीटिंग में मिले। तीसरी बार दोनों नेताओं की मुलाकात 16 जुलाई 2018 को फिनलैंड के हेलेंस्की में हुई। ट्रंप और पुतिन की चौथी मुलाकात अर्जेंटीना के बॉनस आयरिस में G20 समिट के दौरान 30 नवंबर 2018 को हुई। ट्रंप और पुतिन की पांचवी मुलाकात जापान के ओसाका में आयोजित G20 मीटिंग 28 जून 2019 को हुई।
खुद पर ट्रंप को जरूरत से ज्यादा भरोसा
वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप और पुतिन की मीटिंग को लेकर अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह राष्ट्रपति ट्रंप को अपनी सौदेबाजी की क्षमताओं पर जरूरत से ज्यादा भरोसा है। अखबार के मुताबिक यह समिट सिर्फ सुनने भर की कवायद भर है। अखबार ने ट्रंप की आलोचना करते कहा हुए कि ट्रम्प खुद को एक शांतिदूत मानते हैं, और यह नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की उनकी अक्सर व्यक्त की जाने वाली इच्छा से जुड़ा है। उन्होंने छोटे सैन्य झड़प की क्रेडिट लेने की कोशिश की, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के दावे और हमास-इजरायल जंग खत्म करने ऐलान पर कुछ खास नहीं कर सके। हालांकि, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति समझौता में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दांव पर नाटो
इस समिट का नकारात्मक असर नाटो पर पड़ सकता है। सबसे अधिक दांव नाटो पर लगा है। विश्लेषकों के मुताबिक इस समिट के जरिए पुतिन को और अधिक समय मिल जाएगा। ताकि कुछ महीनों या सालों बाद वह फिर से आक्रमण करने की कोशिश कर सकें और हासिल की गई ज़मीन का इस्तेमाल कीव की ओर बढ़ने के लिए लॉन्चपैड के तौर पर कर सकें। इसका नतीजा यह होगा कि पूरे यूक्रेन पर रूस का कब्जा हो जाएगा। जानकारों ने कहा कि इसे रोकने के लिए यूरोपीय और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की लगातार सुरक्षा की गारंटी की मांग कर रहे हैं। साथ ही अमेरिका से हथियारों की आपूर्ति पर जोर रहे हैं। वह यह भी चाहते हैं कि ट्रंप पूर्वी यूरोप में नाटो की तैनाती के मामले में रूस को कोई रियायत न बरतें।
पुतिन कर रहे नाटो और अमेरिका में दरार डालने की कोशिश
विश्लेषकों ने कहा कि पुतिन का सपना है कि वह किसी तरह नाटो के यूरोपीय सदस्य और अमेरिका के बीच दरार डाली जाए। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात से सबसे कम नुकसान पुतिन को होगा। अलास्का पहुंचते ही पुतिन को एक तरह से जीत मिल गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर रूस के साथ वैश्विक अलगाव का अंत हो गया।