हनुमानजी के 500 वर्ष पुराने मंदिर में 12 अप्रेल का दिन बेहद खास रहा। दोपहर के ठीक 12 बजते ही हनुमानजी की मूर्ति का माथा जगमगा उठा। हनुमानजी का सूर्य तिलक किया गया जिसे देखते ही भक्त जयकारे लगाने लगे। विशेष ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम का इस्तेमाल कर सूर्य की किरणें हनुमानजी के मस्तक पर डाली गईं।
रंगई मंदिर सेवा समिति ने इसके लिए विशेष रूप से बैंकॉक, थाईलैंड से पेरिस्कोप मंगाए। हनुमान जन्मोत्सव पर गर्भगृह में दोपहर ठीक 12:00 बजे मूर्ति पर सूर्य किरणें आईं। 40 फीट लंबे 2.5 इंच के पाइप से सूर्य किरणों को मूर्ति के माथे पर सजाया गया। इस मौके पर मंदिर को भी 1.25 लाख राम नाम की पर्चियों से सजाया गया।
मंदिर सेवा समिति का बड़ा दावा
अयोध्या के श्रीराम मंदिर के बाद हनुमानजी के इस मंदिर में उसी पद्धति से सूर्य तिलक किया गया। रंगई मंदिर सेवा समिति ने दावा किया कि विदिशा का श्री दादाजी सिद्ध मनोकामना पूर्ण मंदिर ऐसा पहला मंदिर है जहां हनुमानजी का सूर्य तिलक किया गया है।