Sawan Varanasi Yatra: सावन 2025: बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक को उमड़ा आस्था का सैलाब, शुरू हुई सामाजिक परंपराओं की यात्रा
Sawan Somvar Kashi Vishwanath: काशी नगरी एक बार फिर सावन में श्रद्धा और भक्ति से सराबोर हो उठी है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन को भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ने लगे हैं। सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते हुए जाति-समाज के अनुसार जलाभिषेक की व्यापक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, सुरक्षा के विशेष इंतजाम हैं।
काशी में सावन की भक्ति की गूंज फोटो सोर्स : Social Media
Sawan 2025 Kashi Vishwanath: सावन के पावन महीने में बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी एक बार फिर आस्था, परंपरा और सामाजिक एकता के रंग में रंग गई है। प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी बाबा के भक्तों का जनसैलाब उनके दर्शन और जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़ा है। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है, नगर प्रशासन और मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सहूलियत का पूरा ध्यान रखा है। विशेष बात यह है कि इस बार जलाभिषेक यात्रा की परंपरा को अलग-अलग जातियों, समाजों और संगठनों के जरिए एक सुनियोजित और व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाया जा रहा है।
सावन के पहले सोमवार को सबसे पहले जलाभिषेक का सौभाग्य यादव समाज को प्राप्त होगा। 1932 से चली आ रही इस परंपरा के तहत इस वर्ष भी 50,000 से अधिक यादव श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। इनमें से 21 चुनिंदा यादव प्रतिनिधियों को गर्भगृह तक जाकर जल चढ़ाने की अनुमति दी गई है। यह एक बड़ा सम्मान है और इससे समाज की वर्षों पुरानी आस्था और समर्पण का पता चलता है। यादव बंधुओं की यह यात्रा तिलभांडेश्वर मंदिर से लालजी यादव की अगुवाई में निकलेगी। इस बार गंगा में बढ़े जलस्तर के कारण यात्रा घाटों की जगह गलियों से होकर गुजरेगी।
सभी जातियों को मिला सम्मान और अवसर
यात्रा का क्रम यादव समाज से शुरू होकर अन्य जातीय और सामाजिक संगठनों तक पहुंचेगा। ब्राह्मण, वैश्य, भूमिहार, सिंधी, विश्वकर्मा, गुप्ता और तेली समाज सहित कुल 19 संगठनों को निर्धारित दिनों में जलाभिषेक का अवसर दिया गया है। यह कदम सर्वसमाज की एकता और सांस्कृतिक समरसता का परिचायक है। हर जाति और समुदाय को समान रूप से प्रतिनिधित्व देकर यह संदेश दिया जा रहा है कि काशी बाबा की है और बाबा सबके हैं।
भव्य झांकी और सर्वसमाज यात्रा का आयोजन
बाबा विश्वनाथ इस बार भी श्रद्धालुओं को झांकी दर्शन देंगे। पारंपरिक जलाभिषेक यात्रा के साथ इस बार सर्वसमाज की एक संयुक्त यात्रा भी निकाली जाएगी जो समस्त भारत की एकता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक होगी। इस यात्रा में हर जाति, धर्म, वर्ग और भाषा से जुड़े लोग शामिल होंगे।
सावन के शुक्रवार और सोमवार को विशेष आयोजन
सावन के दूसरे शुक्रवार को अजय चौबे, धनंजय तिवारी और राजाराम तिवारी की अगुवाई में कारसेवा एवं जलाभिषेक यात्रा निकलेगी। अजय चौबे ने जानकारी दी कि इस बार काशीवासियों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। इस यात्रा में गुलाब दुबे और अभय द्विवेदी जैसे प्रमुख लोग शामिल होंगे। सावन के तीसरे सोमवार को चितरंजन पार्क से जलाभिषेक यात्रा निकलेगी, जिसका संयोजन रमेश तिवारी करेंगे। विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी और अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी इस यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
ब्राह्मण, वैश्य और अन्य समाजों की भागीदारी
विश्वेश जलाभिषेक मंडल की ओर से पृथ्वी नाथ शर्मा और अजय केशरी संयोजन में यात्रा आयोजित होगी। जोशी ब्राह्मण संघ और पंडा समाज द्वारा सात अगस्त को जगदीश पांडेय के संयोजन में यात्रा निकाली जाएगी। वहीं, बाबा श्री काशी विश्वनाथ भक्त सेवा समिति के नेतृत्व में राजेश शुक्ल इस यात्रा की अगुवाई करेंगे। वैश्य समाज से जुड़े यूपी सरकार के मंत्री रविंद्र जायसवाल भी जलाभिषेक करेंगे। उनके नेतृत्व में अखिल भारतीय वैश्य काशी जलाभिषेक समिति की यात्रा रक्षाबंधन के दिन निकाली जाएगी। लक्ष्मी नारायण जायसवाल इसके संयोजक होंगे।
अन्य संगठनों की यात्राएं भी तैयार
सिंधी समाज और पांचूबीर बाबा, अर्दली बाजार की यात्रा विनय सडेजा के नेतृत्व में निकाली जाएगी। वरुणा क्षेत्र व्यापार मंडल की यात्रा शोभनाथ विश्वकर्मा की अगुवाई में सावन के अंतिम रविवार, 3 अगस्त को आयोजित होगी। श्री काशी प्रदक्षिणा दर्शन यात्रा समिति द्वारा 20 जुलाई और 3 अगस्त को उमाशंकर गुप्त के संयोजन में यात्राएं निकाली जाएंगी। श्री मरी माता मंदिर, तेलियाबाग से सतीश चंद्र गुप्ता की अगुवाई में यात्रा भी इसी दिन निकलेगी।
सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा पर विशेष जोर
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए रूट डायवर्जन किया गया है और पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती की गई है। गंगा घाटों की बजाय संकरी गलियों से यात्रा निकालने की योजना बनाई गई है जिससे बाढ़ या जलभराव की स्थिति में यात्रा प्रभावित न हो।
एकता और श्रद्धा का संदेश
काशी में हर वर्ष सावन में बाबा विश्वनाथ के प्रति अटूट श्रद्धा और सामाजिक एकता की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है। इस बार भी विभिन्न जातियों, समुदायों और संगठनों की सामूहिक भागीदारी इसे और भी विराट बना रही है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता और भारतीयता के मूल भाव को भी पुष्ट करती है।
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