वहीं शहर में लावारिस लाशों (Unclaimed Bodies) के अंतिम संस्कार करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अनिल डागर का कहना है कि इंदौर ने दो साल में धीरे-धीरे कई भिखारी उज्जैन के आश्रम में छोड़े। अब तो आसपास के जिलों से भी भिक्षुकों को उज्जैन में छोड़ा जा रहा है। नतीजा यह हुआ कि लावारिस लोगों के मरने वालों की संया तेजी से बढ़ गई। पिछले 15 महीने में ही उन्होंने 142 से ज्यादा लावारिस शव का अंतिम संस्कार किया, जबकि 25 सालों में यह आकंड़ा 20 से 25 शवों का था।
77 लावारिस शव शहर के थाना क्षेत्रों से मिले, इनमें भिक्षुक ज्यादा
अनिल डागर ने बताया कि वे 25 वर्षों से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अब तक उन्होंने 25 हजार से अधिक का अंतिम संस्कार किया। हर थाने में उनके मोबाइल नंबर है। थाना पुलिस भी लावारिस लाश मिलने पर उन्हें सूचना देती है। 1 साल में थानों में मिले 77 शवों का अंतिम संस्कार किया। इनमें सबसे ज्यादा भिक्षुक शामिल हैं।
महिला बाल विकास विभाग ने पकड़े थे 325 भिक्षुक, कई लावारिस
पांच माह पूर्व इंदौर नगर निगम के छोड़े गए 325 भिक्षुकों को महिला बाल विकास की टीम ने शहर के अलग अलग हिस्सों से पकड़कर सेवा धाम आश्रम भेजा था, परंतु बीच रास्ते बस से उतरकर भिखारी भाग निकले थे। इसके बाद इन्हें नगर निगम ने पड़कर रैनबसेरों में रखा था। यहां से भी भिक्षुक भाग निकले, जबकि इंदौर नगर निगम का दावा है कि 5000 भिक्षुकों को रोजगार दिलाकर उन्हें पुनर्वास दिया है। भीख मांगने वाले बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया।
7 से 8 गुना तक बढ़ गई लावारिस शवों की संख्या
मैं 25 वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहा हूं, परंतु पिछले 2 साल में मैंने देखा कि अचानक लावारिस शवों की संख्या 7 से 8 गुना बढ़ गई। इसके पीछे बड़ा कारण इंदौर से छोड़े गए भिक्षुक हैं। इंदौर नगर निगम की तरह अब तो अन्य जिलों के भी भिक्षुकों को उज्जैन में छोड़ा जा रहा है।