इसके बाद भगवान को भस्म अर्पित की गई। इसके बाद भगवान को पुजारी परिवार द्वारा रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के पावन पर्व पर प्रथम राखी बांधी गई। पुजारी धर्मेंद्र शर्मा द्वारा भगवान महाकालेश्वर (Lord Mahakal) को भोग लगाकर आरती पूर्ण की गई।बाबा महाकाल को पहली राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह राखी पुजारी परिवार की महिलाएं बांधती है।
महाकाल को लगाया गया लड्डुओं का भोग
आरती के पश्चात महाकाल को 1.25 लाख लड्डुओं का महाभोग अर्पित किया गया। लड्डुओं को 4 दिनों के अंदर 60 डिब्बे देशी घी, 40 क्विंटल बेसन, 40 क्विंटल शक्कर और 25 किलोग्राम सूखे मेवे से बनाया गया है। हलवाई ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि लगभग 100 लोगों ने मिलकर यह प्रसाद तैयार किया।
श्रद्धालुओं को बांटा गया प्रसाद
यह महाभोग श्रद्धालुओं को वितरित किया गया, जो श्रावण मास के उपवास के बाद इस प्रसाद से व्रत खोलते हैं। मंदिर समिति का कहना है कि हिंदू परंपरा के अनुसार सभी मुख्य त्योहारों की शुरुआत बाबा महाकाल के दरबार से ही होती है।
297 सालों में पहली बार बना ऐसा योग
यह अवसर इसलिए भी अद्वितीय था क्योंकि इस वर्ष का रक्षाबंधन 297 वर्षों में पहली बार ऐसे शुभ संयोग में आया, जिसमें भद्रा काल या कोई अशुभ योग नहीं था। इस कारण, यह पर्व पूर्ण रूप से शुभ समय में मनाया गया।