बच्ची के गले में पहनी माला और टैटू से पुलिस को मिला था सुराग
पुलिस के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती था। 27 दिसंबर 2024 को मिले शव के गले में मिली लाल धागे वाली जड़सली माला और मृतका के शरीर पर गुदा हुआ टैटू पहला बड़ा सुराग साबित हुआ। यह जड़सली माला सालमगढ़ के एक ग्रामीण द्वारा बनाई गई थी। इसी आधार पर पुलिस ने आसपास के गांवों में सघन पूछताछ शुरू की। सोशल मीडिया, रेडियो और ई.रक्षक ऐप के माध्यम से बच्ची की पहचान की कोशिश की गई। मध्य प्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जिलों से लापता बच्चियों की जानकारी जुटाई गई।
दो भाइयों की गिरफ्तारी और खुलासे का सिलसिला
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि शव के गले में मिली जड़सली माला बरवास कला गांव के दो लोगों ने बनवाई थी। संदेह के आधार पर पुलिस ने इन्हें भचुंडा गांव के पास से दबोचा। इनकी पहचान बद्रीलाल और रामलाल निनामा के रूप में हुई, जो सगे भाई हैं और उदयपुर के उसी अस्पताल में अस्पताल में मजदूरी करते थे। जहां पर बच्ची को भर्ती कराया गया था। पुलिस हिरासत में जब इन दोनों भाइयों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए।
कई महीनों तक दुष्कर्म, फिर हत्या
मंदसौर पुलिस के अनुसार आरोपी बद्रीलाल और रामलाल का दोस्त रमेश मीणा भी उनके साथ इस जघन्य अपराध में शामिल था। ये तीनों उदयपुर के अस्पताल में काम करते थे, जहां वे बच्ची के संपर्क में आए और उसे अपने घर ले गए। आरोपियों ने कई महीनों तक नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। जब बच्ची बीमार रहने लगी और उनकी दरिंदगी से परेशान हो गई, तो आरोपियों ने उसकी हत्या करने की योजना बनाई। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने रमेश मीणा के साथ मिलकर नाबालिग से दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर शव को बोरी में भरकर भावगढ़ के चुपना रोड स्थित ग्राम मजेसरई के पास झाड़ियों में फेंक दिया। शव बरामद होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी। इससे पहले उसकी मिसिंग भी दर्ज हुई थी।