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उदयपुर

राजस्थान में आरएसइबी और विद्युत निगम के रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर खतरा, हुआ बड़ा खुलासा

Rajasthan News : राजस्थान में आगामी वर्षों में आरएसइबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल होगा। इसका खुलासा राजस्थान विद्युत नियामक आयोग में एक याचिका पर हुई सुनवाई में सामने आया। काम की खबर है,पढ़ें।

उदयपुरJun 27, 2025 / 08:47 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan RSEB and Electricity Corporation retired employees Pension danger a big revelation has been made

फाइल फोटो पत्रिका

पंकज वैष्णव
Rajasthan News :
राजस्थान स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (आरएसइबी) और बिजली निगमों से रिटायर्ड हुए 45 हजार पेंशनर्स का 24 हजार करोड़ फंड बिजली निगम दबाए बैठा है। जहां पेंशन फंड में 30 हजार करोड़ जमा कराने थे, वहां सिर्फ 6 हजार करोड़ की राशि ही जमा है। ऐसे में आगामी वर्षों में आरएसइबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल होगा। इसका खुलासा राजस्थान विद्युत नियामक आयोग में एक याचिका पर हुई सुनवाई में सामने आया। करीब 25 साल पहले आरएसइबी राजस्थान की बिजली व्यवस्था संभालता था।
उस दरमियान कर्मचारियों की पेंशन के लिए बोर्ड का हिस्सा फंड में जमा रहता था। आरएसइबी का अपना पेंशन कोष था। 2000 में बोर्ड का विघटन हुआ और 5 विद्युत कम्पनियां बनीं। उत्तराधिकारी के तौर पर प्रसारण निगम को जिम्मेदारी दी गई। प्रसारण निगम को पेंशन कोष की सार संभाल करनी थी, लेकिन विघटन के दौरान ही पूरा फंड प्रसारण निगम को हस्तांतरित नहीं हो पाया। पता चला है कि आरएसइबी ने पहले ही फंड राशि अन्य कार्यों में खर्च कर दी थी, जिससे हस्तांतरण नहीं हो पाया था।

अमानत में खयानत का ख्याल

विशेषज्ञ बताते हैं कि बोर्ड से पेंशन फंड का प्रसारण निगम को हस्तांतरण नहीं हो पाना अमानत में खयानत का मामला है, जो दंडनीय अपराध है। ऐसे में 25 साल पहले भी रिटायर्ड कर्मचारी मुकदमा करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए। शिकायत नियामक आयोग में की गई तो पेंशन कोष अधूरा होना सामने आया।

आदेश भी दरकिनार

कई बार शिकायतों पर नियामक आयोग ने भी इसे कानूनी बाध्यता बताया और आदेश दिया कि प्रति यूनिट बिजली बेचने का कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराया जाए। इस पर साल 2015 में प्रति यूनिट बिजली में से कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराना शुरू भी हुआ, लेकिन प्रक्रिया निरंतर नहीं रह पाई।

बाकियात का बोझ

पिछले वर्षों में बिजली निगमों ने पेंशन फंड में थोड़ी-थोड़ी राशि ही डाली, जबकि पुरानी बाकियात को अनदेखा किया जाता रहा। ऐसे में बाकियात बढ़ती जा रही है और पेंशन कोष में घाटा बढ़ रहा है। नतीजा ये कि आगामी वर्षों में आरएसइबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल हो सकता है।

ताकि भविष्य में पेंशन देने में कठिनाई नहीं हो

पेंशन कोष में राशि जमा कराना विद्युत निगमों की कानूनी बाध्यता है। हम लगातार नियामक आयोग और निगमों से बात कर रहे हैं। पुरानी बाकियात जमा कराने के साथ ही आगे भी निरंतरता बनाई रखी जाए, ताकि भविष्य में रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने में कठिनाई नहीं हो।
इंजि. वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसई व ऊर्जा सलाहकार

ये है करोड़ों का हिसाब (राशि करोड़ों में)

प्रसारण निगम –

1- देनदारी – 7,122
2- वर्तमान फंड – 4,895
3- उधारी – 2,227

जयपुर डिस्कॉम –

1- देनदारी – 8,055
2- वर्तमान फंड – 821
3- उधारी – 7,234
अजमेर डिस्कॉम –
1- देनदारी – 6,852
2- वर्तमान फंड – 132
3- उधारी – 6,720

जोधपुर डिस्कॉम –
1- देनदारी – 5,795
2- वर्तमान फंड – 210
3- उधारी – 5,292.90

उत्पादन निगम –
1- देनदारी – 2,196
2- वर्तमान फंड – 641
3- उधारी – 1,555।

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