पॉक्सो एक्ट में दर्ज हुआ था मामला
इस दौरान विरोध करने पर रिश्तेदार लोकेश के साथ मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध हत्या, अपहरण और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया। आरोप पत्र पेश होने पर विशिष्ट लोक अभियोजक पूनम चंद मीणा ने आवश्यक साक्ष्य और दस्तावेज पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर पॉक्सो-1 के पीठासीन अधिकारी अरुण जैन ने अशोक को पॉक्सो एक्ट में मरते दम तक कठोर कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
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ये आरोपी हुए बरी
हत्या के मामले में उसे और उसके भाई बलवीर को धारा-302 व विभिन्न धारा में उम्रकैद व डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। मामले में सहआरोपी शंकरलाल और गंगादेवी को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।
न्यायालय ने अपने निर्णय में कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा कि दोनों भाइयों ने युवक की हत्या और नाबालिग से दुष्कर्म का गंभीर अपराध कारित किया है। वर्तमान में समाज में नाबालिग के साथ लैंगिक अपराधों की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसे मामलों में नरमी की जाएगी तो समाज में गलत संदेश जाएगा।