इसकी जानकारी राजस्व विभाग को भी है। लेकिन पटवारी से लेकर उच्च स्तर पर नजर अंदाजी की जा रही है। इसका खामियाजा चंदलाई बांध समेत कचोलिया व सोनवा गांव के लोगों को भुगतना पड़ेगा।
गौरतलब है कि जलाशय, तालाब, नाड़ी, नदी के जल भराव, निकास तथा केचमेंट एरिया में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। निर्माण तो दूर की बात है। लेकिन अधिकारियों की मौन स्वीकृति के चलते नाड़ी-तालाब सुरक्षित नहीं है। कई नाड़ी खत्म हो चुकी है और अब तालाब विलुप्त होने के कगार पर है।
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हर साल होती है परेशानी
सोनवा गांव के मुकेश कुमार, रामलाल, हरिाम आदि ने बताया कि कचोलिया-सोनवा मार्ग से चंदलाई बांध में पानी की आवक होती है। इस मार्ग पर नाड़ी वाले खेत पर नियमों की अनदेखी कर कॉलोनी काटी गई है। जबकि यह बहाव क्षेत्र है। बरसात के दिनों में यहां पानी भरा रहता है। कई बार तो मार्ग बंद होता है। ऐसे में कॉलोनी काटने के बाद किए जा रहे निर्माण से चंदलाई बांध सूखा रहेगा। वहीं पानी अपना रुख बदलकर आबादी क्षेत्र में जाएगा।ग्राम पंचायत की मौन स्वीकृति
चंदलाई बांध के केचमेंट एरिया में काटी जा रही कॉलोनी की जानकारी ग्राम पंचायत को भी है। लेकिन मौन स्वीकृति देकर इसे नजर अंदाज किया जा रहा है। जबकि उन्होंने कॉलोनी के लिए अब तक कोई एनओसी भी जारी नहीं की है। मामले में ग्राम विकास अधिकारी और पटवारी लापरवाही बरत रहे हैं। जबकि केचमेंट एरिया में कॉलोनी काटने पर आपत्ति सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी को लगानी चाहिए थी। पटवारी को भी ग्राम पंचायत से एनओसी मांगनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। बल्कि समीप की सिवायचक जमीन भी अब सुरक्षित नहीं है। यह भी पढ़ें
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सरकार चलाती है अभियान
सरकार के आदेश पर हर साल जलाशय और जल बचाने को लेकर हर साल अभियान चलाया जाता है। लेकिन जिले के नाड़ी और तालाब ही सुरक्षित नहीं है। इनमें काटी गई कॉलोनी को देखते हुए लगता है कि जल और जलाशय बचाने की मुहीम टोंक जिले में कागजी खानापूर्ति हो रही है।इनका कहना है
चंदलाई बांध में पानी अरनियामाल तक से आता है। बीच में किसी प्रकार से बाधा नहीं हो सकती। ऐसा है तो प्रशासन से कार्रवाई की जाएगी। ताकि भविष्य में बांध में पानी की रुकावट नहीं हो।- हीरालाल बैरवा, सहायक अभियंता बीसलपुर बांध परियोजना
- बनवारीलाल, सरपंच (प्रशासक) सोनवा